11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (IDY 2025) की तैयारी के तहत दिल्ली के विज्ञान भवन में 'योगा कनेक्ट 2025' वैश्विक सम्मेलन का भव्य शुभारंभ हुआ। केंद्रीय आयुष मंत्रालय और केंद्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान परिषद (CCRYN) द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम की थीम रही “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य”, जो योग के वैश्विक महत्व और इसके व्यापक प्रभाव को दर्शाती है। कार्यक्रम का शुभारंभ केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और केंद्रीय आयुष मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रतापराव जाधव ने दीप प्रज्वलन कर किया। इस अवसर पर योगगुरु स्वामी रामदेव, द योगा इंस्टिट्यूट की निदेशक डॉ. हंसा जी योगेंद्र, स्वामी चिदानंद सरस्वती, कैवल्यधाम के सीईओ सुबोध तिवारी, आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा समेत कई प्रतिष्ठित योग गुरुओं और विशेषज्ञों की उपस्थिति रही।
अपने संबोधन में केंद्रीय आयुष मंत्री प्रतापराव जाधव ने बताया कि मंत्रालय द्वारा देशभर में योग के प्रभाव को लेकर एक व्यापक सर्वे किया गया है। उन्होंने कहा, “अध्ययनों से यह सिद्ध हुआ है कि योग मधुमेह, हृदय रोग, कैंसर से उबरने और वृद्धजनों की देखभाल में प्रभावी भूमिका निभा रहा है।” उन्होंने योग को कौशल विकास और रोजगार का माध्यम बताते हुए इसे 'ग्लोबल योग क्रांति' का आधार बताया।
संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि योग को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्यक्ति की चेतना से राष्ट्रीय चेतना तक पहुंचाया है। उन्होंने कहा, “योगा कनेक्ट केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि जीवनशैली अपनाने का आह्वान है। 21 जून को योग दिवस को भारत की अमूल्य विरासत के रूप में मनाएं।”स्वामी रामदेव ने बताया कि विश्वभर में लगभग 200 देशों के 2 अरब लोग योग कर रहे हैं, और आने वाले वर्षों में यह संख्या 5 अरब तक पहुंचने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, “हर गीता का अध्याय योग है, योग को हर गांव-गांव तक पहुंचाना हमारा संकल्प होना चाहिए।”
दिन भर चले सम्मेलन में योग के विभिन्न पहलुओं पर छह सत्र आयोजित हुए, जिनमें गैर-संक्रामक रोगों की रोकथाम, महिलाओं के स्वास्थ्य, योग टेक्नोलॉजी और योग उद्योग पर चर्चा हुई। समापन सत्र में विश्व भर के योगाचार्यों और संस्थानों के प्रतिनिधियों ने "Yoga for All" यानी सभी के लिए योग के विजन पर विचार साझा किए।'योगा कनेक्ट 2025' ने योग के आध्यात्मिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक पहलुओं को एक मंच पर लाकर यह सिद्ध कर दिया कि योग न केवल व्यक्तिगत विकास, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य और शांति का भी माध्यम है। आयुष मंत्रालय ने सभी नागरिकों से आह्वान किया कि वे 21 जून को योग दिवस पर ही नहीं, बल्कि रोजमर्रा के जीवन में योग को अपनाएं।