ईरान और इजराइल के बीच चल रहा युद्ध चौथे दिन भी थमता नजर नहीं आ रहा। रविवार देर रात इजराइल ने ईरान की राजधानी तेहरान स्थित विदेश मंत्रालय को निशाना बनाकर हमला किया, जिसमें 100 से अधिक लोग घायल हुए। इससे एक दिन पहले इजराइली वायुसेना ने ईरान के रक्षा मंत्रालय पर भी बमबारी की थी।
ईरान के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इजराइली हमलों में अब तक 224 लोगों की मौत हो चुकी है और 1,277 से अधिक घायल हैं। वहीं, अमेरिका आधारित एक मानवाधिकार संगठन का दावा है कि ईरान में 406 लोगों की जान गई है। दूसरी ओर, ईरान के जवाबी मिसाइल हमलों में अब तक 20 इजराइली नागरिकों की मौत हुई है और 450 से ज्यादा घायल हैं।
सोमवार सुबह ईरान ने 'ट्रू प्रॉमिस थ्री' नामक जवाबी अभियान के तहत सेंट्रल इजराइल पर चार बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला किया। पेताह तिकवा और बनी ब्राक शहरों को निशाना बनाया गया, जिससे 5 लोगों की मौत और 67 घायल हुए।
इजराइल ने इस संघर्ष में ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ की शुरुआत की है। इसके तहत 200 से ज्यादा फाइटर जेट्स ने ईरान के विभिन्न ठिकानों पर हमला किया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस हमले में ईरान के 14 वैज्ञानिक और 20 से अधिक सैन्य कमांडर मारे गए हैं।
ईरान ने इजराइल के तीन F-35 फाइटर जेट्स को मार गिराने का दावा किया है। साथ ही, इजराइली सेना ने तेहरान में ईरान की कुद्स फोर्स के मुख्यालय पर हमला किया, जहां से पूरे मिडिल ईस्ट में आतंक गतिविधियों की योजना बनाई जाती थी।
ईरानी सूत्रों के अनुसार, सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई को तेहरान के उत्तरी इलाके लाविजान स्थित एक बंकर में सुरक्षित रखा गया है। इससे पहले अप्रैल और अक्टूबर 2024 में हुए संघर्ष के दौरान भी वे यहीं शरण ले चुके हैं।
तेहरान में हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। शहर के पेट्रोल पंपों पर गाड़ियों की लंबी कतारें हैं। नागरिकों में भारी दहशत है और बहुत से लोग कैस्पियन सागर के शांत इलाकों की ओर पलायन कर रहे हैं, लेकिन रास्तों में भारी जाम की वजह से वहां पहुंचना कठिन हो रहा है।
इजराइल ने ईरान की दुनिया की सबसे बड़ी पार्स गैस फील्ड पर भी हमला किया है, जिससे देश की ऊर्जा आपूर्ति पर गहरा असर पड़ा है। इससे न सिर्फ ईरान की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है, बल्कि वैश्विक ऊर्जा बाजार में भी अस्थिरता की आशंका जताई जा रही है।
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बयान दिया है कि जल्द ही ईरान और इजराइल के बीच शांति समझौता हो सकता है। हालांकि, ज़मीन पर हालात अभी भी बेहद तनावपूर्ण हैं और किसी प्रकार की वार्ता की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। इजराइल और ईरान के बीच बढ़ता टकराव न केवल दोनों देशों के लिए, बल्कि पूरे पश्चिम एशिया क्षेत्र के लिए खतरे की घंटी है। आम लोग बेघर हो रहे हैं, संसाधन खत्म हो रहे हैं और तनाव लगातार बढ़ रहा है। अब दुनिया की नजरें इस पर टिकी हैं कि क्या कूटनीति इस भीषण संघर्ष को थाम सकेगी।