बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान (Special Intensive Revision - SIR) को लेकर उठे राजनीतिक बवाल के बीच भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने दो टूक जवाब दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग बेबुनियाद आरोपों से डरने वाला नहीं है, और न ही लोकतंत्र के साथ कोई समझौता किया जाएगा।
CEC ने कहा कि भारत का संविधान लोकतंत्र की आत्मा है और वोटर लिस्ट को पारदर्शी व निष्पक्ष बनाना उसी आत्मा की रक्षा करना है। उन्होंने दो बड़े सवाल उठाते हुए कहा कि क्या आयोग उन लोगों के दबाव में आकर इस पुनरीक्षण को रोक दे, जो इसमें बेवजह की राजनीति देख रहे हैं? और क्या आयोग मृतकों, फर्जी मतदाताओं या दो जगह वोटर कार्ड रखने वालों को लिस्ट में बनाए रखे?
राजनीतिक बवाल और CEC का जवाब
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले चल रहे इस पुनरीक्षण अभियान को लेकर राजद, कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने विरोध किया है। विपक्ष का आरोप है कि बाढ़ जैसी आपदा के बीच दस्तावेजों की मांग करना आम और गरीब नागरिकों के अधिकारों का हनन है।
राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि जिन 11 दस्तावेजों की मांग की जा रही है, वो गरीबों के पास नहीं हैं। आयोग ने आधार, राशन कार्ड और मनरेगा कार्ड को नागरिकता प्रमाण मानने से इनकार कर दिया, जो बेहद अन्यायपूर्ण है।
इस पर मुख्य चुनाव आयुक्त ने पलटवार करते हुए कहा कि क्या आयोग ऐसे मतदाताओं के नाम लिस्ट में रहने दे जो या तो मर चुके हैं या स्थायी रूप से किसी अन्य राज्य में बस चुके हैं? क्या यह लोकतंत्र को कमजोर करने का रास्ता नहीं होगा?
जनतंत्र की रक्षा में SIR जरूरी: चुनाव आयोग
ज्ञानेश कुमार ने अपने वक्तव्य में जोर देकर कहा कि विशेष गहन पुनरीक्षण मतदाता सूची को अधिक पारदर्शी और सटीक बनाने की प्रक्रिया है। इससे फर्जी वोटिंग, डुप्लीकेट वोटर आईडी और दोहरे मतदान जैसे खतरे खत्म होंगे।
उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि इन मुद्दों पर देश एकजुट होकर विचार करे, और राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर लोकतंत्र की जड़ों को और मजबूत करे।
CEC के दो यक्ष प्रश्न जो देश के सामने हैं:
क्या SIR पर उठाए जा रहे बेबुनियाद सवालों से डरकर चुनाव आयोग इस प्रक्रिया को रोक दे?
क्या मरे हुए, दो जगह वोटर कार्ड बनवा चुके, या विदेशी नागरिकों के नाम पर फर्जी वोटिंग को खुला छोड़ देना लोकतंत्र के साथ न्याय होगा?
CEC का संदेश:
"मतदाता सूची का शुद्धिकरण निष्पक्ष चुनाव की नींव है। यह काम राष्ट्रहित में हो रहा है, न कि किसी दल विशेष के हित में। इस पर विचार का सबसे उपयुक्त समय अब है।