संसद के मानसून सत्र की शुरुआत के साथ ही सोमवार को एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में भारत के उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने तत्काल प्रभाव से अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपने इस्तीफे का कारण स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं और चिकित्सकीय सलाह बताया।
जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे पत्र में कहा, "चिकित्सा सलाह का पालन करते हुए और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए, मैं भारत के उप राष्ट्रपति पद से संविधान के अनुच्छेद 67(क) के अनुसार तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देता हूं।"
74 वर्षीय धनखड़ अगस्त 2022 से देश के 14वें उप राष्ट्रपति के रूप में कार्यरत थे। अपने इस्तीफे में उन्होंने लिखा, "इस महान लोकतंत्र में उप राष्ट्रपति के रूप में कार्य करना मेरे लिए एक गौरवपूर्ण अनुभव रहा है। भारत की अभूतपूर्व आर्थिक प्रगति और परिवर्तनकारी दौर का साक्षी बनना मेरे जीवन का सौभाग्य रहा है।"
धनखड़ ने आगे कहा, "जैसे-जैसे मैं इस गरिमामय पद से विदा ले रहा हूं, मुझे भारत की वैश्विक उन्नति और शानदार भविष्य पर अटूट विश्वास है।" उन्होंने पत्र का समापन 'Joghlup Sharkha' के हस्ताक्षर से किया, जो संभवतः टाइपिंग त्रुटि माना जा रहा है।
राज्यसभा के सभापति के रूप में धनखड़ का कार्यकाल अक्सर विपक्ष से टकराव के कारण सुर्खियों में रहा। संसदीय प्रक्रियाओं और अधिकारों के विभाजन को लेकर उनकी टिप्पणियों और फैसलों पर विपक्षी दलों ने तीखी आलोचना की।
एक बार तो विपक्ष ने उन्हें हटाने के लिए प्रस्ताव भी पेश किया, जो स्वतंत्र भारत के इतिहास में अभूतपूर्व था। हालांकि यह प्रस्ताव राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश द्वारा खारिज कर दिया गया।
उनका इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब राज्यसभा में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को हटाने का विपक्ष द्वारा नोटिस दिया गया था, जिसने सत्ता पक्ष को चौंका दिया।
धनखड़ भारत के इतिहास में सिर्फ दूसरे उप राष्ट्रपति बने हैं, जिन्होंने कार्यकाल के बीच में इस्तीफा दिया है। इससे पहले वी. वी. गिरी ने 1969 में राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दिया था।
राजस्थान के झुंझुनूं से 1989 में जनता दल के टिकट पर लोकसभा सदस्य के रूप में राजनीतिक सफर शुरू करने वाले धनखड़ ने चंद्रशेखर सरकार में संसदीय कार्य राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया।
इसके बाद उन्होंने 1993 से 1998 तक किशनगढ़ से राजस्थान विधानसभा में प्रतिनिधित्व किया। लंबे समय तक सक्रिय राजनीति से दूरी बनाने के बाद 2019 में वे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बने और वहां तृणमूल कांग्रेस सरकार से लगातार टकराव के चलते चर्चा में रहे।
2022 में एनडीए ने उन्हें उप राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया, जहाँ उन्होंने 710 में से 528 वोट हासिल कर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। उनकी प्रतिद्वंद्वी मार्गरेट अल्वा को केवल 182 वोट मिले थे, जबकि टीएमसी ने मतदान से दूरी बना ली थी।
धनखड़ का इस्तीफा ऐसे समय आया है जब संसद में कई महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा होनी है। उनके इस्तीफे से राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है और अब नए उप राष्ट्रपति के चयन की प्रक्रिया पर सबकी निगाहें टिकी हैं।