इंदौर में 13 जून को होगा ‘इनलैंड फिशरीज एंड एक्वाकल्चर मीट 2025’, केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह करेंगे उद्घाटन
12 Jun, 2025 11:47 AM
मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत मत्स्य पालन विभाग द्वारा 'इनलैंड फिशरीज एंड एक्वाकल्चर मीट 2025' का आयोजन 13 जून को इंदौर, मध्यप्रदेश में किया जा रहा है।
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Emran Khan, समाचार, [12 Jun, 2025 11:47 AM]
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मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत मत्स्य पालन विभाग द्वारा 'इनलैंड फिशरीज एंड एक्वाकल्चर मीट 2025' का आयोजन 13 जून को इंदौर, मध्यप्रदेश में किया जा रहा है। इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्रीय मत्स्य पालन मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह करेंगे। इस अवसर पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, राज्य मंत्री प्रो. एस.पी. सिंह बघेल (मत्स्य पालन एवं पंचायती राज) तथा श्री जॉर्ज कुरियन (मत्स्य पालन एवं अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री) भी विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे।
कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री हलाली डैम में रिज़र्वॉयर फिशरीज क्लस्टर का शुभारंभ करेंगे और प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत 7 इनलैंड राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 52 करोड़ रुपये की लागत से विकसित होने वाली प्रमुख परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे। इन परियोजनाओं का उद्देश्य है – जल संसाधनों का बेहतर उपयोग, मत्स्य उत्पादन में वृद्धि, आधुनिक अवसंरचना का विकास, तथा मत्स्य कृषकों के लिए आजीविका के नए अवसर पैदा करना।
कार्यक्रम में मत्स्य पालक सहकारी समितियों, मत्स्य एफएफपीओ (Fisheries Farmer Producer Organizations), तथा स्टार्टअप्स को प्रमाणपत्र वितरित किए जाएंगे। साथ ही किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) और एक्वाकल्चर बीमा योजनाओं का लाभ भी वितरित किया जाएगा, ताकि गरीब और पिछड़े वर्गों के मछुआरों को डिजिटल सुविधाओं, वित्तीय सुरक्षा और बीमा कवरेज से जोड़ा जा सके।
तकनीकी सत्रों में कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की जाएगी, जिनमें शामिल हैं – रिज़र्वॉयर लीजिंग नीति, नदी और आर्द्रभूमि में टिकाऊ मत्स्य पालन, इनपुट सप्लाई व्यवस्था को मजबूत करना, तथा कोल्ड वॉटर फिशरीज की संभावनाएं। कार्यक्रम का आयोजन हाइब्रिड मोड में किया जाएगा जिसमें इनलैंड राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मत्स्य मंत्रियों, केंद्र और राज्य के मत्स्य विभागों के अधिकारियों और आईसीएआर संस्थानों के विशेषज्ञों की भागीदारी सुनिश्चित की गई है।
मत्स्य उत्पादन में ऐतिहासिक वृद्धि: सरकार द्वारा वर्ष 2015 से अब तक ₹38,572 करोड़ का निवेश मत्स्य क्षेत्र में किया गया है। इसका परिणाम है कि भारत का कुल वार्षिक मत्स्य उत्पादन 2013-14 के 95.79 लाख टन से बढ़कर 2024-25 में 195 लाख टन पर पहुंच गया है, जो 104% की वृद्धि को दर्शाता है। इसमें से इनलैंड फिशरीज और एक्वाकल्चर का योगदान 75% से अधिक रहा है। वर्ष 2024-25 में इनलैंड उत्पादन 147.37 लाख टन रहा, जो पिछले दशक में 140% की वृद्धि को दर्शाता है। इनलैंड फिशरीज में नदियों, तालाबों, झीलों और बांधों जैसे मीठे व खारे जल स्रोतों में मछली पालन किया जाता है। आधुनिक तकनीकों जैसे बायोफ्लॉक, रेसवे, आरएएस (Recirculatory Aquaculture Systems) के उपयोग से छोटे किसानों के लिए यह क्षेत्र आय का बेहतर स्रोत बन रहा है। आईसीएआर की 8 संस्थाओं, 4 उप कार्यालयों और मत्स्य विश्वविद्यालयों की मदद से तकनीक इस क्षेत्र के विकास में केंद्रीय भूमिका निभा रही है। अब तक 45,000 यूनिट्स को अनुमोदन मिल चुका है, जिससे उत्पादकता में 20 गुना तक की वृद्धि संभव हुई है।
इसके अतिरिक्त, आईसीएआर-सीआईएफआरआई के साथ मिलकर ड्रोन तकनीक के उपयोग पर भी पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है, ताकि मछलियों की ढुलाई, निगरानी और सतत प्रबंधन को बेहतर बनाया जा सके।यह आयोजन भारत को मत्स्य पालन में वैश्विक नेतृत्व की दिशा में ले जाने वाला एक ठोस कदम माना जा रहा है, जिसमें पर्यावरण-संवेदनशील और आधुनिक दृष्टिकोण के साथ ग्रामीण भारत की आर्थिक स्थिति को सशक्त किया जा रहा है।