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भारत में Agriculture Marketing से जुडी समस्यायें

02 Jul, 2025 03:49 PM

कृषि विपणन एक ऐसा तरीका है जिससे किसान अपनी उगाई हुई फसल को बाजार तक पहुँचाता है। जब किसान खेत में मेहनत से फसल उगाता है,

FasalKranti
Emren, समाचार, [02 Jul, 2025 03:49 PM]
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कृषि विपणन एक ऐसा तरीका है जिससे किसान अपनी उगाई हुई फसल को बाजार तक पहुँचाता है। जब किसान खेत में मेहनत से फसल उगाता है, तो उसका अगला कदम होता है उस फसल को उपभोक्ताओं तक पहुँचाना। इस प्रक्रिया में फसल को इकट्ठा करना, साफ करना, उसे ठीक से पैक करना, बाजार तक ले जाना और फिर बेचना शामिल होता है। यह सिर्फ बेचने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि इसमें किसान की मेहनत और उम्मीदें जुड़ी होती हैं। कृषि विपणन का मुख्य उद्देश्य यही है कि किसान को उसकी फसल का सही और उचित मूल्य मिल सके, ताकि वह आर्थिक रूप से सशक्त बन सके और खेती को एक फायदे का व्यवसाय बना सके।

भारत में कृषि विपणन का इतिहास

भारत में कृषि विपणन का इतिहास अत्यंत पुराना है। प्राचीन काल में किसान सीधे ही गाँव या आस-पास के हाट-बाज़ारों में अपने उत्पाद बेचते थे। लेकिन जैसे-जैसे कृषि उत्पादन बढ़ा और बाज़ार की माँग बढ़ी, व्यवस्थित मंडी व्यवस्था की आवश्यकता महसूस हुई।

1950 के दशक में कृषि विपणन को अधिक संगठित बनाने हेतु सरकार ने APMC (Agricultural Produce Market Committee) कानून लागू किया, जिससे किसानों को अधिक संगठित और सुरक्षित प्लेटफॉर्म मिला। इसके बाद कृषि विपणन में कई बदलाव हुए, जैसे राष्ट्रीय मंडी, निजी कंपनियाँ और -नाम जैसी योजनाओं का शुभारंभ।

कृषि विपणन के प्रकार

भारत में कृषि विपणन के निम्लिखित प्रकार है

स्थानीय विपणन: स्थानीय विपणन (Local Marketing) का मतलब होता है किसान द्वारा अपनी उपज को अपने गाँव, कस्बे या नज़दीकी मंडी में बेचना। इसमें फसल की बिक्री उसी क्षेत्र में होती है जहाँ वह उत्पादित हुई है।

इसमें किसान सीधे स्थानीय खरीदारों, दुकानदारों, हाट-बाज़ारों या उपभोक्ताओं से जुड़ता है। यह तरीका सस्ता और आसान होता है क्योंकि इसमें परिवहन और भंडारण की ज़रूरत कम पड़ती है और बिचौलियों की भूमिका भी सीमित होती है।

 राज्य स्तरीय विपणन: राज्य स्तरीय विपणन का मतलब है किसान या व्यापारी द्वारा अपनी कृषि उपज को अपने राज्य के विभिन्न जिलों या मंडियों में बेचना। इसमें फसल की बिक्री स्थानीय स्तर से ऊपर उठकर राज्य के भीतर कहीं भी की जा सकती है।

इस प्रकार के विपणन में राज्य की प्रमुख मंडियाँ, सरकारी एजेंसियाँ (जैसे राज्य कृषि विपणन बोर्ड), और एफपीओ जैसी संस्थाएँ मदद करती हैं। यहाँ परिवहन, भंडारण और लाइसेंस जैसी व्यवस्थाएँ अधिक महत्वपूर्ण हो जाती हैं।

राष्ट्रीय विपणन: राष्ट्रीय विपणन का अर्थ है कृषि उपज को एक राज्य से दूसरे राज्य में बेचने की प्रक्रिया। इसमें किसान, व्यापारी या कृषि संगठन अपनी फसल को देश के किसी भी कोने में स्थित मंडियों, बाजारों या उपभोक्ताओं तक पहुँचाते हैं।

इस प्रकार के विपणन में बड़ी मात्रा में उत्पादन, बेहतर भंडारण, परिवहन व्यवस्था, और लाइसेंसिंग की ज़रूरत होती है। सरकार द्वारा विकसित ई-नाम (e-NAM) जैसे प्लेटफॉर्म और कृषि विपणन समितियाँ (APMCs) इस प्रक्रिया को आसान बनाते हैं।

अंतरराष्ट्रीय विपणन: अंतरराष्ट्रीय विपणन का अर्थ है कृषि उत्पादों को एक देश से दूसरे देश में निर्यात (Export) करना। इसमें किसान, व्यापारी या कृषि कंपनियाँ अपनी उपज को वैश्विक बाज़ारों में बेचते हैं, जिससे विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है और देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है।

इस स्तर के विपणन में उच्च गुणवत्ता, अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन, प्रमाणन (जैसे APEDA), पैकेजिंग, भंडारण, और लॉजिस्टिक सपोर्ट की ज़रूरत होती है। सरकार किसानों को निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं, प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता के माध्यम से मदद करती है।

इन सभी का उद्देश्य एक ही है  किसानों के उत्पाद को उचित मूल्य पर सही बाज़ार तक पहुँचाना।

प्राथमिक कृषि विपणन संस्थान

प्राथमिक कृषि विपणन संस्थानों में APMC मंडियाँ, सहकारी मंडियाँ, तथा मंडी समितियाँ प्रमुख हैं। ये संस्थाएँ किसानों से सीधे फसल खरीदती हैं और उसे खुले बाज़ार में बेचने का अवसर देती हैं। इससे किसानों को अधिक पारदर्शिता मिलती है और उन्हें दलालों की निर्भरता कम होती है।

कृषक उत्पादक कंपनियाँ (FPCs) की भूमिका

FPCs या FPOs किसानों के समूह द्वारा संचालित कंपनियाँ होती हैं जो कृषि उत्पादों की बिक्री, भंडारण, मार्केटिंग और प्रोसेसिंग का कार्य करती हैं। ये किसानों की सामूहिक शक्ति को बढ़ाकर उन्हें बाज़ार में बेहतर सौदे करने में मदद करती हैं।

FPO के ज़रिए किसान केवल अपनी उपज बेच सकते हैं बल्कि उर्वरक, बीज, कीटनाशक जैसे आदानों को भी थोक में खरीद सकते हैं जिससे लागत कम होती है।

मंडी प्रणाली और APMC एक्ट

APMC एक्ट किसानों को मंडी के ज़रिए उत्पाद बेचने का अधिकार देता है। इस प्रणाली के अंतर्गत पंजीकृत आढ़तियों और व्यापारियों के बीच बोली लगती है जिससे एक निश्चित पारदर्शिता बनी रहती है।

हालांकि समय के साथ APMC प्रणाली में कई खामियाँ भी सामने आई हैं जैसे बिचौलियों का वर्चस्व, भ्रष्टाचार और मूल्य निर्धारण में अपारदर्शिता, जिससे सुधार की माँग उठी।

निजी कृषि बाजार: उभरता विकल्प

निजी कृषि बाजार एक वैकल्पिक व्यवस्था है जहाँ किसान सीधे ही निजी कंपनियों या प्रोसेसिंग इकाइयों को उत्पाद बेच सकते हैं। इससे बिचौलियों की भूमिका खत्म होती है और किसानों को सीधे लाभ मिलता है।

कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग भी इसी व्यवस्था का हिस्सा है जिसमें पहले से ही उत्पाद का दाम और खरीदार तय होता है।

  • -नाम और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स
  • सरकारी योजनाएँ और MSP
  • निर्यात और अंतरराष्ट्रीय व्यापार
  • तकनीकी सुधार और भविष्य की दिशा

-नाम (e-NAM) और डिजिटल कृषि विपणन

ई-नाम यानी Electronic National Agriculture Market एक ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है जिसे भारत सरकार ने लॉन्च किया है। इसका उद्देश्य देश की कृषि मंडियों को डिजिटल रूप से जोड़कर किसानों को बेहतर दाम दिलाना और बिचौलियों की भूमिका कम करना है।

  • किसान कहीं से भी अपनी उपज की बोली लगा सकते हैं।
  • देशभर के व्यापारी उस उपज को ऑनलाइन खरीद सकते हैं।
  • इसमें वजन, गुणवत्ता और कीमत की पारदर्शिता होती है।

आज देशभर में 1000 से अधिक मंडियाँ e-NAM प्लेटफ़ॉर्म से जुड़ी हैं और लाखों किसान इसका लाभ उठा रहे हैं।

कृषि विपणन में सरकार की योजनाएँ

भारत सरकार ने कृषि विपणन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं:

योजना का नाम

उद्देश्य

PM-AASHA

MSP के तहत कृषि उपज की प्रभावी खरीद

किसान रथ ऐप

परिवहन सुविधा के लिए डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म

ग्रामीण हाट योजना

ग्रामीण क्षेत्रों में बाजार की उपलब्धता

Agri Infrastructure Fund

भंडारण और आपूर्ति श्रृंखला में सुधार

 

इन योजनाओं का उद्देश्य किसानों को बेहतर कीमत, संरचना और जानकारी देना है।

कृषि विपणन में बिचौलियों की भूमिका

बिचौलियों का कृषि विपणन में एक समय अहम स्थान था, परंतु समय के साथ उनकी भूमिका पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हुआ। इनके कुछ प्रभाव निम्नलिखित हैं:

सकारात्मक प्रभाव:

  • विपणन में मदद और उत्पाद को उपभोक्ता तक पहुँचाना
  • नकद भुगतान की उपलब्धता

नकारात्मक प्रभाव:

  • उत्पाद के मूल्य का बड़ा हिस्सा खुद रख लेना
  • किसानों को मूल्य जानकारी से दूर रखना
  • कभी-कभी ऋणजाल में फँसाना

इस कारण से सरकार और नीति निर्धारकों ने बिचौलियों की निर्भरता घटाने हेतु डिजिटल और प्रत्यक्ष बिक्री विकल्पों को बढ़ावा दिया है।

कृषि विपणन में मूल्य निर्धारण और MSP

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सरकार द्वारा घोषित वह मूल्य है जिस पर वह किसानों से फसल की खरीद करती है। यह मूल्य किसानों को बाजार में गिरावट से सुरक्षा देने हेतु निर्धारित किया जाता है।

MSP का महत्त्व:

  • किसानों को न्यूनतम आय की गारंटी
  • मूल्य स्थिरता बनाए रखना
  • कृषि को लाभदायक बनाना

लेकिन, बहुत सारे किसान MSP का लाभ नहीं उठा पाते क्योंकि या तो उन्हें इसकी जानकारी नहीं होती या खरीदी केंद्र उन तक नहीं पहुँचते। इसलिए डिजिटल और सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।

कृषि उत्पादों का भंडारण और परिवहन

फसल के उत्पादन के बाद उसका सही ढंग से भंडारण और परिवहन भी कृषि विपणन का अभिन्न हिस्सा है। भारत में लगभग 20-30% फसलें सही भंडारण के अभाव में नष्ट हो जाती हैं।

प्रमुख समस्याएँ:

  • गोदामों की कमी
  • कोल्ड स्टोरेज की अनुपलब्धता
  • परिवहन लागत और सड़क संपर्क का अभाव

समाधान:

  • निजी और सहकारी गोदामों का निर्माण
  • PPP मॉडल में लॉजिस्टिक्स विकास
  • किसान समूहों के लिए परिवहन अनुदान

कृषि निर्यात और अंतरराष्ट्रीय बाजार

भारत एक कृषि प्रधान देश है और कई कृषि उत्पाद जैसे चावल, मसाले, फलों का निर्यात करता है। कृषि विपणन में अंतरराष्ट्रीय व्यापार का योगदान किसानों की आय को कई गुना बढ़ा सकता है।

प्रमुख निर्यात उत्पाद:

  • बासमती चावल
  • आम, अंगूर, अनार
  • मिर्च, हल्दी

निर्यात चुनौतियाँ:

  • गुणवत्ता प्रमाणन की कमी
  • वैश्विक मानकों की जानकारी का अभाव
  • निर्यात केंद्रों की पहुँच

APEDA जैसी संस्थाएँ किसानों को निर्यात योग्य बनाने में सहायता कर रही हैं।

कृषि विपणन में चुनौतियाँ और समस्याएँ

भारतीय कृषि विपणन को कई स्तरों पर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है:

  • मूल्य अस्थिरता और जोखिम
  • मौसम आधारित उत्पादन का प्रभाव
  • अपर्याप्त वित्तीय और सूचना तंत्र
  • मंडियों की असमान पहुँच
  • छोटे और सीमांत किसानों की दुविधाएँ

इन समस्याओं के समाधान के लिए स्थायी नीतियों और दीर्घकालिक निवेश की आवश्यकता है।

आधुनिक तकनीक का योगदान

आधुनिक तकनीकों ने कृषि विपणन को एक नई दिशा दी है:

  • IoT: मिट्टी की नमी, फसल वृद्धि पर निगरानी
  • डेटा एनालिटिक्स: मूल्य पूर्वानुमान और मांग विश्लेषण
  • मोबाइल एप्स: मौसम जानकारी, बाजार मूल्य, डिजिटल लेनदेन
  • ड्रोन और सैटेलाइट इमेजिंग: फसल स्थिति की निगरानी

तकनीक के समुचित उपयोग से विपणन की लागत घटती है और पारदर्शिता बढ़ती है।

स्थायी कृषि विपणन के उपाय

स्थायीत्व लाने के लिए निम्नलिखित उपाय आवश्यक हैं:

  1. स्थायी मूल्य नीति
  2. स्थानीय बाजारों का सशक्तिकरण
  3. समूह आधारित विपणन
  4. भविष्य और विकल्प आधारित व्यापार मॉडल
  5. हरित तकनीकों का समावेश

भविष्य की दिशा और संभावनाएँ

भारत में कृषि विपणन का भविष्य डिजिटल, पारदर्शी और किसानों को केंद्र में रखने वाला होगा। जैसे-जैसे तकनीक और नीति में सुधार होगा, कृषि विपणन केवल एक आर्थिक प्रक्रिया बल्कि एक समृद्धि का माध्यम बन जाएगा।

निष्कर्ष

Agriculture Marketing भारत के कृषि क्षेत्र का हृदय है। एक मज़बूत, पारदर्शी और किसान-हितैषी विपणन प्रणाली ही किसानों को आत्मनिर्भर बना सकती है और भारत को खाद्यान्न सुरक्षा की दिशा में मज़बूती प्रदान कर सकती है। आज आवश्यकता है कि हम पारंपरिक तरीकों को पीछे छोड़कर डिजिटल और तकनीकी समाधानों को अपनाएँ।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

  1. कृषि विपणन क्या होता है?
    यह वह प्रक्रिया है जिससे किसान अपनी फसल को उपभोक्ताओं तक पहुँचाते हैं जिसमें बिक्री, भंडारण, और मूल्य निर्धारण शामिल होता है।
  2. MSP का क्या महत्त्व है?
    MSP
    किसानों को न्यूनतम मूल्य की गारंटी देता है जिससे वे बाज़ार में नुकसान से बच सकें।
  3. -नाम (e-NAM) क्या है?
    यह एक डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है जो किसानों को राष्ट्रीय मंडियों से जोड़ता है।
  4. FPO क्या है?
    FPO (Farmer Producer Organization)
    किसानों द्वारा संचालित संगठन होते हैं जो सामूहिक रूप से विपणन, खरीद और भंडारण का कार्य करते हैं।
  5. सरकार की कौन-कौन सी योजनाएँ कृषि विपणन को बढ़ावा देती हैं?
    PM-AASHA,
    किसान रथ ऐप, ग्रामीण हाट योजना, Agri Infra Fund प्रमुख योजनाएँ हैं।
  6. भारत में कृषि विपणन की सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
    सूचना की कमी, भंडारण व्यवस्था की कमी, और मूल्य निर्धारण में पारदर्शिता की कमी सबसे बड़ी चुनौतियाँ हैं।

 




Tags : Agriculture News | Farming News | Natural Farming

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