संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2025 को ‘अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष’ घोषित किए जाने के अवसर पर मुंबई में ‘सहकारिता से समृद्धि’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सहकारिता भारत की मिट्टी और जड़ों में गहराई से समाई हुई है। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से ही भारत में ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ की भावना के साथ सहयोग और सहकार की परंपरा रही है।
कृषि की मजबूती देश की समृद्धि की नींव
उन्होंने ने कहा कि कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और यह देश की GDP में 18 प्रतिशत का योगदान देती है, साथ ही लगभग 46 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 11 वर्षों में देश ने कृषि क्षेत्र में अद्भुत प्रगति की है, जिसमें खाद्यान्न उत्पादन में 44 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
छोटे किसानों को केंद्र में रखकर बनाई जा रही नीतियां
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि कृषि की प्रगति के लिए जो रोडमैप तैयार किया गया है, उसमें प्रति हेक्टेयर उत्पादन बढ़ाना, उत्पादन लागत घटाना, फसल का उचित मूल्य दिलाना, फसल नुकसान की स्थिति में मुआवजा देना, कृषि का विविधीकरण और भूमि व मिट्टी के संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण बिंदु शामिल हैं। उन्होंने कहा कि भारत में अधिकांश किसान लघु और सीमांत श्रेणी के हैं, इसलिए नीति निर्धारण में इन्हें प्राथमिकता दी जा रही है।
'विकसित कृषि संकल्प अभियान' से खेतों तक पहुंचेगी वैज्ञानिक तकनीक
श्री चौहान ने ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ की जानकारी देते हुए कहा कि यह ‘लैब से लैंड’ तक की कड़ी को मजबूत करने का प्रयास है। इस अभियान के तहत देशभर में 2,170 वैज्ञानिक टीमों ने किसानों से सीधा संवाद किया, उनके अनुभवों को सुना और अनुसंधान की नई दिशा तय की। इस दौरान निम्न गुणवत्ता के कीटनाशकों और बीजों की समस्या को गंभीरता से लिया गया है, और इस दिशा में सख्त कानून बनाए जाने की योजना है।
TOP फसलों के लिए नई मार्केट इंटरवेंशन स्कीम (MIS)
उन्होंने बताया कि टमाटर, प्याज और आलू (TOP फसलें) उत्पादक किसानों को यदि किसी अन्य राज्य में बेहतर मूल्य मिलता है, तो वहां तक परिवहन का खर्च केंद्र सरकार उठाएगी। यह योजना किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाने और उपभोक्ताओं को भी उचित मूल्य पर उत्पाद उपलब्ध कराने की दोहरी दिशा में काम करेगी।
पल्सेस और तिलहनों की खरीद, भंडारण और उत्पादन को बढ़ावा
कृषि मंत्री ने जानकारी दी कि तूर, मसूर और उड़द की खरीद किसानों के पंजीकरण के बाद की जाएगी। तिलहन और सोयाबीन की रिकॉर्ड खरीद की गई है और इनके भंडारण के लिए वित्तीय सहायता भी दी जाएगी।
कृषि से जुड़े आगामी महत्वपूर्ण आयोजन
उन्होंने बताया कि 24 जून को कृषि वैज्ञानिकों के साथ वर्चुअल बैठक, 26 जून को इंदौर में सोयाबीन पर और 27 जून को गुजरात में कपास पर बैठक आयोजित की जाएगी। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश में गन्ने की खेती पर विशेष बैठक होगी।
अन्य प्रमुख घोषणाएं और सम्मान समारोह
इस अवसर पर श्री चौहान ने NAFED द्वारा समर्थित तीन एफपीओ को इक्विटी ग्रांट के चेक प्रदान किए, पांच एफपीओ को NAFED फ्रैंचाइज़ी के प्रमाण पत्र वितरित किए, ‘NAFED समर्थित एफपीओ की सफलता की कहानियां’ पुस्तक का विमोचन किया और एक प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया।
उपस्थित गणमान्य व्यक्ति:
इस संगोष्ठी में महाराष्ट्र के कृषि मंत्री श्री माणिकराव कोकाटे, एनसीसीएफ के चेयरमैन श्री विशाल सिंह, इफको के चेयरमैन श्री दिलीप संघानी, कृभको के चेयरमैन श्री चंद्रपाल सिंह, नेफेड के निदेशक श्री जेठाभाई आहिर, गुजरात स्टेट कोऑपरेटिव बैंक के चेयरमैन श्री अजय पटेल और नेफेड के प्रबंध निदेशक श्री दीपक अग्रवाल उपस्थित रहे।