These sugarcane varieties of UP have the biggest problem, the big reason revealed
UP के गन्ने की इन किस्मों में सबसे ज्यादा समस्या, सामने आई बड़ी वजह
06 Sep, 2024 03:34 PM
गन्ना विकास विभाग, उत्तर प्रदेश के अनुसार, गन्ना विकास गन्ने की फसल के पीला पड़ने के मुख्य कारणों में से एक है उकठा रोग, जो 'फ़्यूज़ेरियम सेकरोई' नामक फंगस के कारण होता है.
FasalKranti
Fiza, समाचार, [06 Sep, 2024 03:34 PM]
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उत्तर प्रदेश के मेरठ और मुजफ्फरनगर मंडल सहित कई क्षेत्रों के किसानों ने गन्ने की फसल के पीला पड़ने की शिकायत गन्ना विभाग से की थी. इसके बाद 23 अगस्त 2024 को उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद और भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों की एक टीम का गठन किया गया. इस टीम ने 27, 28 और 29 अगस्त को संबंधित जिलों में जाकर फसल की बीमारियों का निरीक्षण किया. इस टीम ने अपनी रिपोर्ट में गन्ने की फसल के पीला पड़ने के कारणों, उपचार और बचाव के संबंध में सुझाव दिए हैं. गन्ना विकास विभाग की तरफ से नियुक्त टीम अधिकारी और वैज्ञानिकों ने रिपोर्ट में बताया है कि फसल के पीला पड़ने की पहचान मुख्यतः उकठा रोग (विल्ट) के प्रारंभिक लक्षण के रूप में की गई है. इसके अलावा, कहीं-कहीं जड़ बेधक, मिलीबग कीट का भी प्रभाव देखा गया है जिसकी वजह से गन्ने की फसल पीली पड़ कर सूख रही है.
गन्ने की इन किस्मों में समस्या ज्यादा यह समस्या मुख्यतः गन्ने की कुछ किस्मों जैसे को.11015, को. 15027, को. बी.एस.आई.8005, को.बी.एस.आई.3102 और को.बी.एस.आई.0434 में पाई गई, जो प्रदेश के लिए अनुमोदित नहीं हैं. इसके अतिरिक्त, प्रदेश की अनुमोदित गन्ना किस्में को. 15023 और को. 0118 में भी इस रोग का प्रभाव अधिक पाया गया है. गन्ने की फसल पर इस रोग के प्रकोप के कारणों में सामान्य से कम वर्षा, कम आर्द्रता, मृदा में नमी की कमी और उच्च तापमान जैसे कारक शामिल हैं, जो उकठा रोग और जड़ बेधक कीट के लिए अनुकूल होते हैं. गन्ना विभाग ने सुझाव दिया है कि किसान पहले अपने खेतों में निरीक्षण करें और फसल के पीला पड़ने के सही कारण का पता लगाएं. सही ढंग से कीट रोगों की पहचान कर उसके अनुसार उपचार करना बेहद जरूरी है.
इस वजह से फसल में पीलेपन की समस्या गन्ना विकास विभाग, उत्तर प्रदेश के अनुसार, गन्ना विकास गन्ने की फसल के पीला पड़ने के मुख्य कारणों में से एक है उकठा रोग, जो 'फ़्यूज़ेरियम सेकरोई' नामक फंगस के कारण होता है. उकठा रोग गन्ने के पौधों को गंभीर रूप से प्रभावित करता है. यह 'फ़्यूज़ेरियम सेकरोई' नामक फंगस के कारण होता है, जिससे पौधे पीले पड़कर सूखने लगते हैं. इसके लक्षणों में गन्ने के अंदरूनी भाग का खोखला होना, लाल-भूरा रंग दिखाई देना, गन्ने का वजन कम होना, अंकुरण क्षमता का समाप्त होना और गन्ने की उपज और चीनी की मात्रा का कम होना शामिल है. गन्ने के छिलके पर भूरे धब्बे, पपड़ी का बैंगनी या भूरे रंग में बदलना और अप्रिय गंध भी इसके लक्षण हो सकते हैं. उकठा रोग की स्थिति में सिस्टमिक फंजीसाइड जैसे थायोफिनेट मिथाइल 70 डब्लू.पी. 1.3 ग्रामदवा प्रति लीटर पानी या कार्बन्डाजिम 50 डब्लू.पी. 2 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी में मिलाकर 15-20 दिन के अंतराल पर दो बार ड्रेंचिंग करें. इसके बाद सिंचाई करें और गन्ने की जड़ों के पास 4 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा प्रति एकड़, 40-80 किलोग्राम सड़ी गोबर की खाद या प्रेसमड के साथ मिलाकर प्रयोग करें.