कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज भोपाल स्थित आईसीएआर–केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान (ICAR-CIAE) का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने संस्थान के वैज्ञानिकों, विद्यार्थियों और कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कृषि विकास में संस्थान की भूमिका की सराहना की तथा छोटे किसानों को ध्यान में रखते हुए सरल, किफायती और सुलभ यंत्रों के विकास पर बल दिया।
कृषि मंत्री ने संस्थान की हालिया उपलब्धियों की समीक्षा करते हुए कहा कि अगले दस वर्षों के लिए यंत्रीकरण की कार्ययोजना तैयार की जानी चाहिए, जिसमें देश के विभिन्न क्षेत्रों की विशिष्ट आवश्यकताओं को AICRP नेटवर्क के माध्यम से पहचाना जाए। उन्होंने "विकसित भारत अभियान" की दिशा में कृषि यंत्रीकरण को गति देने के लिए किसान मेलों के आयोजन और सभी हितधारकों के साथ मंथन बैठक आयोजित करने का सुझाव दिया।
केंद्रीय मंत्री ने वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों से संचालित छोटे इंजनों और यंत्रों के विकास, सेंसर आधारित प्रणालियों के उपयोग, खाद्य सुरक्षा, मृदा स्वास्थ्य तथा प्रयोगशाला से खेत तक तकनीकों के प्रभावी प्रसार पर विशेष जोर दिया।इस अवसर पर DARE सचिव एवं आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. एम.एल. जात, उपमहानिदेशक (इंजीनियरिंग) डॉ. एस.एन. झा, उपमहानिदेशक (विस्तार) डॉ. ए.के. नायक, ICAR-CIAE के निदेशक डॉ. सी.आर. मेहता और आईसीएआर-आईआईएसएस भोपाल के निदेशक डॉ. एम. मोहन्टी भी उपस्थित रहे।
ट्रैक्टर संचालित प्लास्टिक मल्च लेयर-कम-प्लांटर: आधुनिक कृषि यंत्र की विशेषताएं
ICAR-CIAE द्वारा विकसित यह उन्नत यंत्र खेत में उभरी हुई क्यारियों का निर्माण, ड्रिप लेटरल और प्लास्टिक मल्च बिछाने तथा बीजों की बुआई जैसे कार्यों को एक साथ करने में सक्षम है। परंपरागत तरीके से इन कार्यों में प्रति हेक्टेयर 29 मानव-दिन लगते हैं, जबकि यह यंत्र 89% समय और 43% लागत की बचत करता है।
यंत्र में प्रयुक्त एक्सेंट्रिक स्लाइडर क्रैंक मैकेनिज्म और न्यूमैटिक सीड मीटरिंग प्रणाली पूरी तरह से समन्वित है, जिससे बीजों की बुआई सटीकता और दक्षता के साथ होती है।यह तकनीक विशेष रूप से मूल्यवान फसलों जैसे कि खरबूज, खीरा, स्वीट कॉर्न, बेबी कॉर्न, मटर, भिंडी और फलियां आदि की प्लास्टिक मल्च में रोपाई के लिए उपयुक्त है।
कृषि मंत्री ने इस नवाचार की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे यंत्र किसानों की मेहनत कम करते हैं, लागत घटाते हैं और उत्पादन में वृद्धि लाते हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की तकनीकों को देशभर में जल्द से जल्द पहुंचाना चाहिए।