मशरूम के उत्पादन नि:शुल्क गुर सिखा रहे है मुजफ्फरपुर के शशिभूषण तिवारी। उन्होंने मोतीपुर के जसौली में मशरूम फार्म स्थापित किया है, जहा वर्षभर दूधिया बटन मशरूम का उत्पादन होगा। अगस्त के पहले सप्ताह में पहली पैदावार बाजार में उपलब्ध होगी। अभी यहा 70 महिलाओं को रोजगार मिला है। साथ ही इसी परिसर में बने किसान भवन में मशरूम उत्पादन के गुर सीखने की भी व्यवस्था है। यहा डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा से मशरूम विज्ञान की पढ़ाई करने वाले छात्न इंटर्नशिप कर सकेंगे।
इसकी भी पहल हो रही है। यहां उनके रहने की व्यवस्था उत्पादन यूनिट की ओर से की जाएगी। उनको कुछ पारिश्रिमक भी मिलेगा। मॉडल सेंटर के रूप में होगा विकिसत। डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के मशरूम सेंटर परियोजना निदेशक डा. दयाराम ने बताया कि मोतीपुर, जसौली यूनिट की क्षमता प्रतिदिन 10 से 12 टन उत्पादन की होगी। अभी बिहार में 60 कंट्रोल यूनिट हैं, जिसमें 40 से 50 टन उत्पादन हो रहा है। मोतीपुर में अभी जो यूनिट काम कर रही, उसमें 500 किलो से 1500 किलो तक उत्पादन हो सकेगा। यह सूबे की पहली मॉडल यूनिट होगी, जहां पूरी तरह से ऑटोमेटिक सिस्टम से मशरूम बोआई से लेकर पैकिंग का काम होगा।
मशरूम उत्पादक शशिभूषण तिवारी बताते हैं कि काम की तलाश में 1996 में दिल्ली गए थे। वहां फल के फार्म व पैकिंग कंपनी में काम किया जिसका आजादपुर मंडी में कारोबार था। इस बीच मशरूम पर नजर पडी। उसके कारोबार के बारे में जानने की इच्छा हुई। इसी चाहत में हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड व हिमाचल प्रदेश जाकर मशरूम उत्पादकों से मिला और प्रशिक्षण भी लिया। 2001 में अपना काम शुरू किया। वर्ष 2017 में दिल्ली से यहा पर आकर इसकी शुरुआत की। वर्ष 2019 में मशरूम विज्ञानी डा. दयाराम से मुलाकात हुई। उनके मार्गदर्शन व तकनीकी सहयोग से जुलाई, 2019 से यूनिट लगाने का काम शुरू हुआ। जून, 2021 से मशरूम का खाद बनाना शुरू किया। परिसर में छह चैंबर व एक कोल्ड स्टोरेज है। यूनिट दो एकड में लगी है, जिसमें 10 से 12 करोड की लागत आई है।
पहले चरण में बिक्री केंद्र मजफ्फरपुर, मोतिहारी, बेतिया, रक्सौल, पटना, दरभंगा, सिलीगुडी व नेपाल में होगें, वहां के व्यापारी संपर्क में है। अगस्त से जब उत्पादन होगा तो उस समय 150-200 लोगों को रोजगार मिलेगा।