हैदराबाद विश्वविद्यालय (यूओएच), भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान-हैदराबाद (Indian Rice Research Institute)और आईआईटी-कानपुर (IIT-Kanpur) के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं द्वारा संयुक्त रूप से एक नया नैनोपार्टिकल-आधारित बायो-डिग्रेडेबल-कार्बोनोइड-मेटाबोलाइट (बायोडीसीएम) को विकसित किया गया है। जो कृषि फसलों को रोगजनकों से बचा सकता है।
इन नए नैनोकणों का आविष्कार फसलों, विशेष रूप से चावल की फसल को संक्रमण और बीमारियों से बचाने के लिए ढाल का काम करेगा। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि प्रौद्योगिकी एक सुरक्षात्मक जैविक विकल्प के रूप में कार्य करती है जिसका उपयोग चावल की फसलों में विभिन्न बीमारियों के खिलाफ फसल सुरक्षा को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है।
इसे स्कूल ऑफ केमिस्ट्री, (school of chemistry) यूओएच से आर. बालमुरुगन और एमओ मंडल की एक टीम द्वारा विकसित किया गया है। आईसीएआर-आईआईआरआर से सी कन्नन और दिव्या मिश्रा और आईआईटी-कानपुर से जैविक विज्ञान और बायोइंजीनियरिंग विभाग से संतोष के. मिश्रा और पीयूष कुमार ने इसको विकसित किया है।
यूओएच के कुलपति बीजे राव ने कहा, "मैं टीम के सभी सदस्यों को बधाई देता हूं और उनका नवाचार किसानों के लिए बेहद फायदेमंद होगा।"