कर्मचारी चयन आयोग (SSC) की परीक्षाओं में लगातार हो रही गड़बड़ियों और अचानक रद्द होने के विरोध में देशभर के हजारों छात्र और शिक्षक दिल्ली सड़कों पर उतरे। इस प्रदर्शन के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच तनाव बढ़ गया, जिसमें लाठीचार्ज और गिरफ्तारियों की घटनाएं सामने आईं। छात्रों का आरोप है कि SSC की लापरवाही और तकनीकी खामियों ने उनके भविष्य से खिलवाड़ किया है।
परीक्षाओं का अचानक रद्द होना: छात्रों ने बताया कि SSC चयन पद चरण 13 सहित कई परीक्षाएं बिना पूर्व सूचना के रद्द कर दी गईं, जिससे उनकी मेहनत और यात्रा व्यर्थ हुई।
तकनीकी खामियाँ: कंप्यूटर सिस्टम क्रैश, गलत केंद्र आवंटन और खराब प्रबंधन ने परीक्षार्थियों को परेशान किया। इंदौर में एक केंद्र पर सिस्टम 10-15 मिनट के लिए बंद हो गया, जिससे छात्रों का कीमती समय बर्बाद हुआ ।
दुर्व्यवहार के आरोप: कई छात्रों ने परीक्षा केंद्रों पर स्टाफ द्वारा अपमानजनक व्यवहार की शिकायत की।
वेंडर एजेंसी पर सवाल: छात्रों का आरोप है कि SSC द्वारा नियुक्त परीक्षा आयोजक एजेंसी पिछली असफलताओं के बावजूद अनुबंध में बनी हुई है।
प्रदर्शन में शिक्षक भी शामिल हुए, जिनमें जानी-मानी शिक्षिका नीतू मैम भी थीं। उन्होंने कहा, "सिर्फ जंतर-मंतर पर विरोध करने से कुछ नहीं होगा। हम मंत्री से मिलकर बात करना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने रोक दिया।" 1। छात्रों ने सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में दिखाया कि पुलिस ने न केवल छात्रों, बल्कि शिक्षकों पर भी लाठियां बरसाईं।
परीक्षा प्रक्रिया की स्वतंत्र जांच और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई।
रद्द हुई परीक्षाओं की पुनर्आयोजना और प्रभावित छात्रों को मुआवजा।
परीक्षा वेंडर एजेंसी का अनुबंध रद्द कर नई पारदर्शी प्रणाली लागू करना।
भर्ती प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता और तकनीकी सुधार।
छात्र संगठन NSUI ने SSC को पत्र लिखकर तत्काल सुधार की मांग की है। साथ ही, प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि मांगें नहीं मानी गईं, तो आंदोलन और तेज होगा।
निष्कर्ष: SSC के खिलाफ यह आंदोलन सिर्फ परीक्षा की गड़बड़ियों तक सीमित नहीं, बल्कि युवाओं के भविष्य और सरकारी भर्ती प्रणाली में विश्वास को लेकर है। अब नजर सरकार और आयोग की ओर है कि वे इस संकट का समाधान कैसे निकालते हैं।