कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने चुनाव आयोग के नए नियम को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने इसे लोकतंत्र पर हमला बताया और आरोप लगाया कि आयोग 'सबूत मिटाने' की कोशिश कर रहा है। राहुल का ये बयान उस नियम को लेकर आया है, जिसमें मतदान के बाद ईवीएम और वीवीपैट स्लिप्स से जुड़े कुछ रिकॉर्ड हटाए जाने का प्रावधान शामिल है।
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, "वोटिंग के सबूत मिटाए जा रहे हैं। मोदी सरकार और चुनाव आयोग को ईमानदारी से इतना डर क्यों लग रहा है?" उन्होंने सवाल उठाया कि जब वोटिंग पारदर्शी और निष्पक्ष है, तो फिर सबूत रखने में परेशानी क्या है?
राहुल गांधी के इस आरोप पर चुनाव आयोग ने भी तुरंत प्रतिक्रिया दी। आयोग ने एक प्रेस बयान में कहा, "यह कहना कि सबूत मिटाए जा रहे हैं, पूरी तरह भ्रामक और तथ्यहीन है।"
आयोग के अनुसार, ईवीएम से जुड़े डेटा का बैकअप निर्धारित समय तक सुरक्षित रखा जाता है और जो नियम लाए गए हैं, वे अंतरराष्ट्रीय चुनावी मानकों के अनुरूप हैं। आयोग ने कहा कि यह प्रक्रिया मतदाता की गोपनीयता को सुनिश्चित करने और डेटा की अखंडता बनाए रखने के लिए की जाती है।
राहुल गांधी के इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस नेता जहां आयोग के फैसले को लोकतंत्र के लिए खतरा बता रहे हैं, वहीं भाजपा इसे निराधार और जनता को गुमराह करने वाला बयान बता रही है।
चुनाव आयोग ने हाल ही में एक नया दिशानिर्देश जारी किया है, जिसके तहत मतदान के बाद कुछ विशेष तकनीकी जानकारी और अस्थायी डेटा को एक निर्धारित समय के बाद हटा दिया जाएगा। आयोग का कहना है कि इससे चुनावी पारदर्शिता और प्रणाली की दक्षता बढ़ेगी, लेकिन विपक्ष इसे 'सबूत मिटाने' की प्रक्रिया बता रहा है।