प्रधानमंत्री ने लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार प्राप्त किया
25 Apr, 2022 04:49 PM
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी आज मुंबई में मास्टर दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर प्रधानमंत्री को प्रथम लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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समाचार, [25 Apr, 2022 04:49 PM]
प्रधानमंत्री
श्री नरेन्द्र मोदी आज मुंबई में मास्टर दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार समारोह में
शामिल हुए। इस अवसर पर प्रधानमंत्री को प्रथम लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार से
सम्मानित किया गया। भारत रत्न लता मंगेशकर की स्मृति में स्थापित किया गया यह
पुरस्कार प्रत्येक वर्ष सिर्फ एक व्यक्ति को राष्ट्र निर्माण में अनुकरणीय योगदान
के लिए दिया जाएगा। इस अवसर पर,
महाराष्ट्र के राज्यपाल
श्री भगत सिंह कोश्यारी और मंगेशकर परिवार
के सदस्य भी उपस्थित थे।प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा कि
मुझे संगीत जैसे गहन विषय की बहुत जानकारी तो नहीं है, लेकिन सांस्कृतिक बोध से यह महसूस होता है कि संगीत एक 'साधना' भी है और एक भावना भी। उन्होंने कहा, “जो अव्यक्त को व्यक्त कर दे,
वो शब्द है। जो व्यक्त
में ऊर्जा और चेतना का संचार कर दे,
वो 'नाद' है। जो चेतन में भावों और भावनाओं को भरकर सृष्टि और
संवेदनशीलता की पराकाष्ठा तक ले जाए, वो 'संगीत' है। संगीत आपको वीररस और मातृत्व स्नेह की
अनुभूति करवा सकता है। यह राष्ट्रभक्ति और कर्तव्यबोध के शिखर पर पहुंचा सकता है।” उन्होंने कहा, “हम सब सौभाग्यशाली हैं कि हमने संगीत के इस
सामर्थ्य और शक्ति को लता दीदी के रूप में साक्षात देखा है।” एक व्यक्तिगत टिप्पणी करते हुए,
श्री मोदी ने कहा, “मेरे लिए, लता दीदी 'सुर साम्राज्ञी' होने के साथ-साथ मेरी बड़ी बहन भी थीं। पीढ़ियों को प्रेम और भावनाओं का उपहार
देने वाली लता दीदी से अपनी बहन जैसा प्यार पाने से बड़ा सौभाग्य और क्या होगा।”
प्रधानमंत्री ने
कहा कि वे आमतौर पर पुरस्कार लेते हुए बहुत सहज नहीं महसूस करते, लेकिन जब मंगेशकर परिवार लता दीदी जैसी बड़ी बहन का नाम लेता है और उनके नाम
पर पुरस्कार देता है, तो यह उनके स्नेह और प्यार का प्रतीक बन जाता
है। प्रधानमंत्री ने कहा, “मेरे लिए इसे ना कहना संभव नहीं है। मैं यह
पुरस्कार सभी देशवासियों को समर्पित करता हूं। जिस तरह लता दीदी लोगों की थीं, वैसे ही उनके नाम पर मुझे दिया गया यह पुरस्कार भी लोगों का है।” प्रधानमंत्री ने कई व्यक्तिगत किस्से सुनाए और सांस्कृतिक जगत में लता दीदी के
असीम योगदान के बारे में विस्तार से बताया। प्रधानमंत्री ने कहा, “लता जी की जीवन यात्रा ऐसे समय में पूरी हुई जब हमारा देश अपनी आजादी का अमृत
महोत्सव मना रहा है। उन्होंने आजादी से पहले भारत को आवाज दी थी और देश की इन 75
वर्षों की यात्रा भी उनकी आवाज के साथ जुड़ी रही।”
लता दीदी के
शानदार करियर का उल्लेख करते हुए,
प्रधानमंत्री ने कहा, "लता जी 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' की मधुर प्रस्तुति की तरह थीं। उन्होंने 30 से अधिक भाषाओं में हजारों गाने
गाए। चाहे वह हिंदी हो, मराठी, संस्कृत या दूसरी भारतीय
भाषाएं हो, उनका स्वर हर भाषा में एक जैसा घुला हुआ था।” श्री मोदी ने आगे कहा,
"संस्कृति से आस्था तक, पूर्व से पश्चिम तक, उत्तर से दक्षिण तक, लता जी के सुरों ने पूरे देश को एक करने का कार्य किया। वैश्विक स्तर पर भी, वह भारत की सांस्कृतिक राजदूत थीं।” प्रधानमंत्री ने कहा, “ वह हर राज्य, हर क्षेत्र के लोगों के मन में बसी हुई हैं।
उन्होंने दिखाया कि कैसे भारतीयता के साथ संगीत अमर हो सकता है।” प्रधानमंत्री ने मंगेशकर परिवार के परोपकारी कार्यों की भी चर्चा की। प्रधानमंत्री
ने कहा कि भारत के लिए विकास का मतलब सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास है। इस परियोजना में ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के सभी के कल्याण के दर्शन को भी शामिल किया
गया है। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि विकास की ऐसी अवधारणा सिर्फ भौतिक
क्षमताओं से हासिल नहीं की जा सकती। इसके लिए आध्यात्मिक चेतना बेहद महत्वपूर्ण
है। इसीलिए भारत योग, आयुर्वेद और पर्यावरण जैसे क्षेत्रों में
नेतृत्व प्रदान कर रहा है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन को समाप्त करते हुए कहा, “मेरा मानना है, हमारा भारतीय संगीत भी भारत के इस योगदान का एक
महत्वपूर्ण हिस्सा है। आइए हम इस विरासत को उन्हीं मूल्यों के साथ जीवित रखें तथा
इसे आगे बढ़ाएं और इसे वैश्विक शांति का एक माध्यम बनाएं।”
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