पॉलीहाउस खेती एक ऐसी उन्नत तकनीक है, जिसमें किसान फसलों को नियंत्रित वातावरण में उगाते हैं, जिससे उत्पादन में 3 से 5 गुना तक बढ़ोतरी होती है। यह सिर्फ मौसम की मार से बचाने का तरीका नहीं, बल्कि एक पूरी कृषि क्रांति है। बहुत कम लोगों को पता है कि पॉलीहाउस में CO₂ लेवल तक नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे फसल की ग्रोथ तेजी से होती है। इसके निर्माण में खास UV स्टेबल पॉलीशीट और सेंसर-आधारित ऑटोमेशन तकनीक का उपयोग होता है। हालांकि लागत ₹8–25 लाख तक हो सकती है, पर सब्सिडी से यह छोटे किसानों के लिए भी सुलभ है।
पॉलीहाउस खेती क्या होती है?
पॉलीहाउस खेती एक उन्नत और वैज्ञानिक पद्धति है, जिसमें फसलें एक नियंत्रित वातावरण वाले संरचना के भीतर उगाई जाती हैं। यह संरचना गैल्वनाइज्ड आयरन पाइप से बनी होती है और उस पर मोटी यूवी-स्टेबल पॉलीशीट चढ़ाई जाती है, जो सूर्य की तेज़ रोशनी, भारी बारिश, ओलावृष्टि और कीटों से फसल की सुरक्षा करती है। इस ढांचे के भीतर तापमान, नमी और वायु संचार को नियंत्रित किया जाता है, जिससे पौधों को विकास के लिए अनुकूल वातावरण मिलता है। पॉलीहाउस खेती की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि किसान मौसम की परवाह किए बिना सालभर खेती कर सकते हैं, जिससे उत्पादन 3 से 5 गुना तक बढ़ जाता है। इसमें पानी और खाद की खपत भी कम होती है और कीटनाशकों का प्रयोग न्यूनतम होता है। इस तकनीक से गुणवत्तापूर्ण उपज मिलती है, जिससे बाजार में अच्छे दाम प्राप्त होते हैं और किसान की आय में उल्लेखनीय वृद्धि होती है।
पॉलीहाउस कैसे बनाया जाता है? और कितना समय लगता है?
1. स्थान का चयन (1–2 दिन)
- समतल, ऊँचाई पर स्थित भूमि चुनी जाती है ताकि पानी ना रुके।
- जल निकासी की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।
- बिजली और पानी की सुविधा पास में उपलब्ध हो।
2. डिज़ाइन बनाना और अनुमोदन 2–5 दिन
- पॉलीहाउस का सटीक आकार तय किया जाता है, जैसे: 1000 वर्गमीटर, 1 एकड़ या अधिक।
- हवा की दिशा, ढलान, सूरज की दिशा को ध्यान में रखते हुए नक्शा बनाया जाता है।
- अगर सरकारी सब्सिडी ली जा रही हो, तो विभागीय अनुमोदन भी जरूरी होता है।
3. ढांचे का निर्माण 7–15 दिन
- GI पाइप (गैल्वनाइज्ड आयरन) से मज़बूत फ्रेम तैयार किया जाता है।
- यह फ्रेम एंटी-रस्ट और लॉन्ग-लाइफ होता है।
- जोड़ों की वेल्डिंग और पिलर फाउंडेशन मजबूत किया जाता है।
4. कवरेज और क्लैडिंग 3–5 दिन
- पॉलीहाउस को 200–250 माइक्रॉन की UV स्टेबल पॉलीशीट से ढका जाता है।
- यह पॉलीशीट गर्मी, बारिश और तेज धूप से पौधों को बचाती है।
- सही तरह से कवरिंग करना जरूरी होता है ताकि हवा या बारिश अंदर न जा सके।
5. सिंचाई और तापमान नियंत्रण सिस्टम लगाना 3–7 दिन
- ड्रिप इरिगेशन सिस्टम लगाया जाता है जिससे पानी की बचत होती है।
- फॉगिंग/मिस्टिंग सिस्टम पौधों को ठंडक देने के लिए लगाया जाता है।
- अगर Fan & Pad सिस्टम लगाया जाए तो वह तापमान को स्वचालित रूप से नियंत्रित करता है।
कुल समय:
छोटे पॉलीहाउस (1000–2000 वर्गमीटर): 15–25 दिन
बड़े पॉलीहाउस (1 एकड़ या अधिक): 25–40 दिन तक
यदि मौसम और सामग्री की आपूर्ति सही रहे, तो पॉलीहाउस निर्माण एक महीने के भीतर पूरा हो सकता है।
पॉलीहाउस के प्रकार और उनकी विशेषताएं
1. साधारण पॉलीहाउस
- यह सबसे बेसिक पॉलीहाउस होता है जिसमें कोई विशेष तापमान नियंत्रण प्रणाली नहीं होती।
- ऊपर वेंटिलेशन (हवा के निकास) के लिए खुले हिस्से होते हैं।
- छोटे किसान या शुरुआती स्तर पर खेती करने वालों के लिए उपयुक्त।
- मुख्य रूप से उन फसलों के लिए जिनमें ज्यादा तापमान नियंत्रण की आवश्यकता नहीं होती।
- लागत: ₹8–12 लाख (प्रति एकड़)
2. नेचुरली वेंटिलेटेड पॉलीहाउस (NVP)
- इसमें ऊपरी और किनारों पर नेट या ओपनिंग दी जाती हैं, जिससे हवा का प्राकृतिक रूप से प्रवाह बना रहता है।
- गर्मी के मौसम में तापमान खुद से संतुलित होता है, बिना बिजली खर्च किए।
- मध्यम स्तर की सब्ज़ियों और फूलों की खेती के लिए उपयुक्त।
- सरकार द्वारा सब्सिडी में सबसे अधिक प्रमोट किया जाने वाला मॉडल।
- लागत: ₹12–18 लाख (प्रति एकड़)
3. Fan & Pad पॉलीहाउस
- इसमें पंखे (Fan) और कूलिंग पैड (Pad) लगे होते हैं जो भीतर के तापमान को नियंत्रित करते हैं।
- गर्मियों में भी पौधों को ठंडा वातावरण मिलता है, जिससे उत्पादन बढ़ता है।
- इसमें बिजली की आवश्यकता होती है, इसलिए थोड़ी अधिक लागत आती है।
- उच्च गुणवत्ता की फसलों जैसे शिमला मिर्च, गुलाब, जरबेरा आदि के लिए बेहतरीन।
- लागत: ₹18–25 लाख (प्रति एकड़)
4. फुली ऑटोमेटेड पॉलीहाउस
यह सबसे उन्नत तकनीक वाला पॉलीहाउस होता है जिसमें सेंसर और कंट्रोल सिस्टम लगे होते हैं।
- तापमान, नमी, प्रकाश, CO₂ लेवल आदि को ऑटोमेटिक सिस्टम द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
- इसमें मोबाइल या कंप्यूटर से भी निगरानी और संचालन किया जा सकता है।
- उच्च मूल्य वाली विदेशी फसलों या निर्यात हेतु उत्पादन के लिए उपयुक्त।
- लागत: ₹25 लाख से अधिक (प्रति एकड़)
पॉलीहाउस की लागत कितनी आती है?
पॉलीहाउस बनवाने की लागत कई चीज़ों पर निर्भर करती है – जैसे उसका आकार, किस प्रकार का पॉलीहाउस है (साधारण, नैचुरल वेंटिलेटेड, फैन-पैड, या फुली ऑटोमेटेड), और उसमें लगाए गए उपकरणों की गुणवत्ता। आमतौर पर एक एकड़ पॉलीहाउस की लागत ₹8 लाख से लेकर ₹25 लाख या उससे अधिक तक हो सकती है।
लागत में जो चीज़ें शामिल होती हैं:
- GI स्ट्रक्चर (गैल्वनाइज़्ड आयरन पाइप्स): मजबूत ढांचा तैयार करने में उपयोग होता है, जो जंग से मुक्त और लंबे समय तक टिकाऊ होता है।
- पॉलीशीट कवरिंग: UV स्टेबल 200–250 माइक्रॉन की मोटी पॉलीथिन शीट, जो बारिश, धूप और ओलावृष्टि से पौधों को बचाती है।
- सिंचाई सिस्टम: ड्रिप इरिगेशन, फॉगिंग या मिस्टिंग यूनिट जैसी सिंचाई व्यवस्था जो जल की बचत और पौधों को नियमित पानी पहुंचाने में मदद करती है।
- वेंटिलेशन और तापमान नियंत्रण: नेचुरल वेंट, फैन-पैड सिस्टम या ऑटोमेटेड कंट्रोल इक्विपमेंट।
- श्रमिक और इंस्टॉलेशन खर्च: पॉलीहाउस के निर्माण, पाइप फिटिंग, कवरिंग, और सिस्टम इंस्टॉलेशन में लगने वाली मेहनत और समय की लागत।
- फसल उत्पादन की शुरुआती लागत: मिट्टी तैयार करना, बीज, खाद, दवा, और मजदूरी आदि।
सरकारी सहायता (सब्सिडी)
सरकारें किसानों को पॉलीहाउस लगाने के लिए आर्थिक सहायता भी देती हैं। केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न योजनाओं (जैसे NHM – नेशनल हॉर्टिकल्चर मिशन, MIDH, आदि) के तहत 50% से लेकर 90% तक की सब्सिडी दी जाती है। सब्सिडी की दर राज्य और किसान की श्रेणी (SC/ST, लघु व सीमांत) के अनुसार अलग-अलग हो सकती है।
सुझाव किसान भाइयों के लिए:
- पॉलीहाउस बनाने से पहले स्थानीय उद्यान विभाग या कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) से संपर्क करें।
- सब्सिडी के लिए समय रहते आवेदन करें और मान्यता प्राप्त विक्रेता या एजेंसी से ही निर्माण करवाएं।
- सभी खर्चों की लिखित डिटेल और बिल जरूर लें, ताकि सब्सिडी की प्रक्रिया में आसानी हो।
पॉलीहाउस निर्माण सामग्री कहां और कैसे खरीदें?
पॉलीहाउस बनाने के लिए जरूरी सामग्री जैसे GI पाइप, पॉलीशीट, सिंचाई सिस्टम, फैन-पैड यूनिट आदि आज भारत में कई विश्वसनीय जगहों से आसानी से उपलब्ध है। आप इन्हें ऑनलाइन भी मंगवा सकते हैं और स्थानीय बाजार से भी खरीद सकते हैं।
भारत में पॉलीहाउस सामग्री खरीदने के प्रमुख स्रोत:
- किसानक्राफ्ट (Kisankraft), बैंगलोर:
यह कंपनी पॉलीहाउस किट, कृषि उपकरण और इंस्टॉलेशन सेवाएं देती है। किसानों के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन की गई सामग्री उपलब्ध होती है।
- नेटाफिम इंडिया (Netafim India), गुजरात:
सिंचाई समाधानों के लिए यह एक प्रमुख ब्रांड है। ड्रिप इरिगेशन सिस्टम, फर्टिगेशन यूनिट, और जल प्रबंधन के उत्पाद यहां से खरीदे जा सकते हैं।
- पॉलीहाउस इंडिया (Polyhouse India), पुणे:
यह कंपनी पॉलीहाउस की डिजाइनिंग, निर्माण और तकनीकी सेवाएं एक साथ उपलब्ध कराती है। इनके पास अनुभवी इंजीनियर और तकनीशियन की टीम भी होती है।
- Amazon Business और India Mart (ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म):
ये ऑनलाइन पोर्टल्स GI पाइप, पॉलीशीट, फॉगिंग यूनिट, क्लैम्प, कीट जाल, शेड नेट आदि बेचते हैं। छोटे किसानों के लिए आसान डिलीवरी विकल्प और कीमतों की तुलना भी संभव होती है।
- स्थानीय कृषि इनपुट डीलर (हर राज्य / ज़िले में):
अपने नजदीकी डीलर से संपर्क कर सकते हैं, जहां सामग्री जल्दी मिल जाती है और इंस्टॉलेशन में भी सहायता मिल सकती है। यह विकल्प तुरंत काम शुरू करने वालों के लिए बेहतर होता है।
खरीदारी से पहले इन बातों का जरूर ध्यान रखें:
- 2 से 3 कंपनियों से कोटेशन (Rate List) जरूर लें ताकि कीमतों और गुणवत्ता की तुलना की जा सके।
- सामग्री की प्रमाणिकता जांचें। जैसे GI पाइप पर ISI मार्क और पॉलीशीट पर UV प्रोटेक्शन लेबल जरूर देखें।
- बिल और वारंटी कार्ड लें, जिससे भविष्य में किसी तकनीकी गड़बड़ी पर सेवा मिल सके।
- यदि पहली बार पॉलीहाउस बना रहे हैं, तो अधिकृत या अनुभवी एजेंसी से ही निर्माण कराएं।
जरूरी पॉलीहाउस निर्माण सामग्री की लिस्ट:
- जंगरोधी GI पाइप और फिटिंग्स
- UV स्टेबल पॉलीशीट (200–250 माइक्रॉन)
- ड्रिप सिंचाई सिस्टम
- फॉगिंग या मिस्टिंग यूनिट
- शेड नेट और कीटजाल
- फाउंडेशन बोल्ट, स्क्रू, क्लैम्प
- फैन-पैड यूनिट (यदि तापमान नियंत्रण की ज़रूरत हो)
- डिजिटल सेंसर्स (फुली ऑटोमेटेड पॉलीहाउस के लिए)
सलाह:
पॉलीहाउस निर्माण में गुणवत्तापूर्ण सामग्री का चयन बहुत जरूरी है, क्योंकि यही आपकी खेती की नींव होती है। अच्छी सामग्री से पॉलीहाउस ज्यादा टिकाऊ, सुरक्षित और लंबे समय तक फसल देने योग्य बनता है।
सरकारी सहायता और ट्रेनिंग
सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता:
- NHM (National Horticulture Mission) के तहत सब्सिडी
- PMKSY योजना के अंतर्गत ड्रिप इरिगेशन सहायता
ट्रेनिंग और सलाह:
- कृषि विज्ञान केंद्र (KVK)
- राज्य उद्यान विभाग
- कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा आयोजित वर्कशॉप
किसान भाइयों के लिए जरूरी सुझाव
- शुरुआत छोटे साइज के पॉलीहाउस से करें
- एक ही फसल के बजाय मिश्रित फसल अपनाएं
- बाजार की मांग को ध्यान में रखकर फसलें चुनें
- कृषि विशेषज्ञ या ट्रेनर से मार्गदर्शन लें
- टेक्नोलॉजी अपनाने से ना डरें – यह आपका साथी है
पॉलीहाउस खेती ने साबित कर दिया है कि खेती अब सिर्फ मिट्टी और बारिश पर निर्भर नहीं रही। यह तकनीक न सिर्फ उत्पादन बढ़ाती है, बल्कि किसानों को नए बाजारों, निर्यात और आय के साधन भी देती है।
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