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Pearl Farming: केवल 25 हजार में शुरू करें मोती की खेती, किसान कमायेगा लाखों का मुनाफ़ा

08 Aug, 2022 05:27 PM

किसान इस खेती से बहुत ज्यादा लाभ कमा सकते हैं. एक सीप से मोती बनाने में 10 से 15 रूपए का खर्च आता है और मुनाफ़ा दोगुना होता है.

FasalKranti
समाचार, [08 Aug, 2022 05:27 PM]

Pearl Farming: सीपों की खेती एक नया विकल्प बनकर सामने आया है. किसान इस खेती से बहुत ज्यादा लाभ कमा सकते हैं. एक सीप से मोती बनाने में 10 से 15 रूपए का खर्च आता है और मुनाफ़ा दोगुना होता है. आपकों बता दें सीप की खेती भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी सीपों और मोतियों की मांग तेजी से बढती जा रही है. ऐसे में कई लोगों का ध्यान अब मोतियों की खेती की तरफ जा रहा है




Pearl Farming: सीपों की खेती एक नया विकल्प बनकर सामने आया है. किसान इस खेती से बहुत ज्यादा लाभ कमा सकते हैं. एक सीप से मोती बनाने में 10 से 15 रूपए का खर्च आता है और मुनाफ़ा दोगुना होता है. आपकों बता दें सीप की खेती भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी सीपों और मोतियों की मांग तेजी से बढती जा रही है. ऐसे में कई लोगों का ध्यान अब मोतियों की खेती की तरफ जा रहा है
Pearl Farming Business Idea: apko बता दें मोती की खेती एक ऐसा व्यवसाय है, जिसमें लागत कम और मुनाफ़ा बहुत अधिक मिला है. इसमें छोटे से निवेश के साथ भी इसकी शुरुआत की जा सकती है. इसमें सरकार की ओर से आधी सब्सिडी प्राप्त होती है. मोती की खेती में आपको कई बारीकियों का पालन करना पड़ता है. आज हम मोती की खेती से जुडी सारी आवश्यक बातें आपको बताने वाले हैं, ताकि यदि आप यह खेती करना चाहते हैं तो आसानी से लाखों कमा सके.
शुरुआत कैसे करें ?
यदि आपने मोती की खेती करने का मन बना लिया है तो सबसे पहले इसके लिए आपको ट्रेनिंग लेनी होगी. पहले से जो किसान यह खेती कर रहे हैं उनसे, या यू ट्यूब के जरिये सीखने से लाख गुना बेहतर होगा कि सरकार के प्रशिक्षण केंद्र से ही आप ट्रेनिंग लें. इसमें 15 दिन का समय लगता है. पहले ओडिशा के भुवनेश्वर में स्थित CIFA से ही प्रशिक्षण लिया जाता था, लेकिन समय के साथ अन्य राज्यों ने भी मोती की खेती का प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है.

कहाँ कर सकते हैं ?
मोती की खेती आप किसी भी राज्य में कर सकते हैं. बस इसके लिए आपके पास जमीन होनी चाहिए. यानी एक छोटा तालाब. यदि तालाब नहीं है तो आप अपने घर के सामने 10*10 के हिस्से में तालाब बना सकते हैं. अपने खेतों में तालाब का निर्माण कर सकते हैं.
कैसे बनते हैं मोती?
मोतियों का निर्माण सीपों में किया जाता है. मोती के कई आकार होते हैं. सीप अपने शरीर के हानिकारक तत्वों को बहुमूल्य मोतियों में बदल देते हैं. सीप ही है जिनके कारण हमें पीने योग्य मीठा पानी प्राप्त होता है. मोतियों का उपयोग अंगूठी बनाने, बहुमूल्य रत्न बनाने, सजावटी वस्तुएं बनाने में किया जाता है.

मोतियों के प्रकार
वैसे तो आकार के आधार पर मोती कई प्रकार के होते हैं. कोई छोटे, गोल चिकने, तो कोई बड़े बड़े, और कई को विशेष आकृतियों में बनाया जाता है. लेकिन उपयोग के आधार पर मोती तीन प्रकार के होते हैं.

मेंटल टिशू
इसमें सीप के अन्दर का सीप का ही हिस्सा डालकर मोती तैयार किया जाता है. इनका उपयोग खाने वाले, शक्तिवर्धक मोती में किया जाता है. जैसे मोतियों के भस्म, टॉनिक बनाने में और च्यवनप्राश बनाने में उपयोग होता है. इनकी मांग ज्यादा होने के कारण कीमतें भी बहुत अधिक होती है. ये एक मोती 2000 से 3000 रुपए में बिकते हैं.
गोनट
ये मोती प्रकृतिक रूप से तैयार होते हैं. जो गोल, बड़े और चमकीलें होते हैं. इनकी चमक के कारण भाव बहुत बड़ा होता है. एक मोती की कीमत हजार रूपए से पचास हजार रुपए तक होती है.

केवीटी
इन मोतियों का निर्माण सीप के अन्दर ऑपरेशन के जरिये पदार्थ डालकर किया जाता है. इससे आभूषण बनाए जाते हैं, जैसे अंगूठी, लॉकेट. इनका उपयोग सजावटी सामान बनाने में भी किया जाता है.




कैसे करें मोती की खेती?
मोतियों की खेती के लिए सबसे पहले तालाब की आवश्यकता होगी. जिसमें साफ़ पानी भरा होना चाहिए. साथ ही मिट्टी की भी जांच करवा लेनी चाहिए.
इसके बाद सीपों की बारी आती है. आप चाहे तो किसानों से सीपें ले सकते हैं या मछुआरों से. सीपों का चयन बहुत ही सावधानी के साथ किया जाना चाहिए. सभी सीपों का जीवित और व्यस्क होना जरुरी है. सीपों के चयन के बाद उनके निर्मित तालाब में डालें. ऐसा इसीलिए क्योंकि सीपें किसी और पानी से, अलग वातावरण से निकालकर लाइ गई है. इसीलिए उन्हें पानी के वातावरण से अनुकूल होने के लिए 10 से 15 दिन के लिए छोड़ देना चाहिए.
मृत सीपों की छटनी
जब हम सीपों को पानी में छोड़ते हैं तो उनमें से कई सीपें बदले माहौल में ढल नहीं पाती और वे मर जाती है. ऐसे में सभी मृत सीपों की छटनी की जाती है. इन सीपों को भी बाजार में बेचा जा सकता है. जिनका उपयोग सजावटी सामान और गहने बनाने में किया जाता है.

सीपों की सर्जरी
एक बार सीपों की छटनी हो जाए तो वे सर्जरी के लिए तैयार रहती है. उन्हें पानी से निकालकर अलग रखा जाता है ताकि उनका मुंह खुल सके. सर्जरी बहुत ही सावधानी से करनी चाहिए. सीपों के मुंह को खोलते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनका मुंह ज्यादा नहीं खोले, अन्यथा वे मर जाएंगे. अब सीपों के मुंह को खोलकर उनकी कोशिकाओं में दोनों तरफ हल्का सा कट लगाया जाता है. जिसमें बीड डालकर उन्हें बंद कर दिया जाता है. यहाँ पर कई लोग डिजाइनर बीड भी डालते हैं. इसके बाद लगभग 10 से 15 दिन तक इन्हें एंटीबायोटिक में वाले पानी में डालकर रखते हैं. पानी का तापमान ज्यादा नहीं होना चाहिए. तापमान के बदलाव से बचने के लिए सीपों को पांच फीट गहराई में डालना चाहिए ताकि इन पर तापमान का कोई प्रभाव नहीं पड़े.
तालाब में ऐसे छोड़ें
अब फिर से सीपों की छटनी की जाती है. इस प्रक्रिया के बाद भी कई सीपें मर जाती है. उन्हें हटाने के बाद बची हुई सीपों को नायलॉन के बैग में रखकर तालाब में छोड़ा जाता है. एक बैग में दो या तीन सीपें की रखी जाती है. इसके बाद अब समय-समय पर निरिक्षण किया जाता है. शैवालों की अधिकता नहीं होने दिया जाता है. मृत सीपों को हटाया जाता है. 12 से 14 महीने के बाद सीपों के अन्दर मोती तैयार हो जाते हैं.




सीपों से मोतियों को निकालना
मोती तैयार होने के बाद उन्हें सीपों से निकाला जाता है. इसके लिए सीपों को पूरा खोलकर उनके प्रजनन अंगों या कोशिकाओं से मोतियों को निकाला जाता है. सीपों के दो हिस्से हो जाने के बाद उन्हें भी बेच दिया जाता है. जिनका उपयोग सजावटी सामान और गहने बनाने में किया जाता है.
कैसे होगी कमाई?
सीपों की खेती से किसान बहुत अधिक मुनाफ़ा कमा सकते हैं. एक सीप से मोती बनाने में 10 से 15 रूपए का खर्च आता है और मुनाफ़ा दोगुना होता है. आजकल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी सीपों और मोतियों की मांग तेजी से बढती जा रही है. ऐसे में कई लोगों का ध्यान अब मोतियों की खेती की तरफ जा रहा है


Tags : Pearl Farming: Start pearl farming in only 25 thousand | farmer will earn profit of la

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