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कम पानी, अधिक लाभ देने वाली PR 126 किस्म बनी किसानों की पहली पसंद

20 May, 2025 02:37 PM

जल स्तर में गिरावट, पराली प्रबंधन, बदलते जलवायु में कीट-रोगों की बढ़ती चुनौती और मिलिंग क्वालिटी जैसे मुद्दों को ध्यान में रखते हुए, .......

FasalKranti
Emran Khan, समाचार, [20 May, 2025 02:37 PM]
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जल स्तर में गिरावट, पराली प्रबंधन, बदलते जलवायु में कीट-रोगों की बढ़ती चुनौती और मिलिंग क्वालिटी जैसे मुद्दों को ध्यान में रखते हुए, पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (PAU), लुधियाना द्वारा विकसित धान की किस्म PR 126 किसानों के लिए एक वरदान साबित हो रही है। वर्ष 2017 में जारी की गई इस किस्म को किसानों, मिलर्स और सरकारी एजेंसियों—सभी की ओर से व्यापक सराहना मिल रही है।


PR 126: सभी हितधारकों के लिए अनुकूल किस्म
PR 126 किस्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह कम पानी की जरूरत वाली किस्म है, इसमें पराली का भार भी कम होता है और गेहूं की बुवाई के लिए अधिक समय उपलब्ध कराती है। यह किस्म कीट और बीमारियों के प्रति कम संवेदनशील है, जिससे उत्पादन लागत में भारी कटौती होती है। साथ ही, इसकी मिलिंग क्वालिटी भी उत्कृष्ट है। यही वजह है कि वर्ष 2024 में पंजाब में कुल धान क्षेत्रफल का 43% क्षेत्र PR 126 से आच्छादित रहा।
93 दिनों में परिपक्व, लंबी अवधि की किस्मों से 3-4 सप्ताह पहले तैयार
PR 126 किस्म रोपाई के 93 दिन बाद परिपक्व हो जाती है। इसकी तुलना में Pusa 44, PR 118 जैसी किस्में 3-4 हफ्ते अधिक समय लेती हैं। यही वजह है कि इस साल किसानों की पहली पसंद यही किस्म रही, और इसकी सारी बीज-स्टॉक पहले ही बिक चुकी है।
विलंबित रोपाई से उपज में गिरावट, PAU की चेतावनी
हालांकि, PAU द्वारा किए गए सर्वेक्षण में पाया गया कि जिन किसानों ने रोपाई 15 जुलाई के बाद की, उन्हें न केवल उपज में कमी (24-29 क्विंटल/एकड़), बल्कि अनाज में अधिक नमी और मिलिंग क्वालिटी में गिरावट का सामना करना पड़ा। इसके विपरीत, जिन्होंने 25 जून से 15 जुलाई के बीच रोपाई की, उन्हें 33-34 क्विंटल/एकड़ तक उपज मिली और मिलिंग क्वालिटी भी बेहतर रही (60% से अधिक हेड राइस रिकवरी)।
अनुशंसित नर्सरी आयु – 25-30 दिन
PAU ने यह भी स्पष्ट किया कि 25-30 दिन पुरानी नर्सरी से रोपाई करने पर सबसे बेहतर परिणाम मिलते हैं। 35 और 45 दिन की पुरानी नर्सरी से रोपाई करने पर उपज में क्रमशः 7.8% और 18.9% तक की गिरावट देखी गई।
MSP खरीद के मानदंडों पर खरी उतरती है PR 126
FCI द्वारा निर्धारित मापदंडों जैसे 17% से अधिक नमी न हो, 6% से अधिक मिश्रण न हो, 5% से अधिक क्षतिग्रस्त या रंगहीन दाने न हों – इन सभी मानकों पर PR 126 खरी उतरती है। इसलिए यह किस्म मिलिंग उद्योग और सरकारी खरीद एजेंसियों द्वारा भी स्वीकार्य है।
PAU की सिफारिश:
• 15 जुलाई से पहले रोपाई करें, ताकि उपज, नमी और मिलिंग क्वालिटी संतुलित रहे।
• 25-30 दिन की नर्सरी का प्रयोग करें, वृद्ध पौधों से रोपाई से बचें।
• देर से रोपाई करने से पैदावार घटती है, नमी बढ़ती है और मिलिंग क्वालिटी गिरती है।
• इस किस्म का अधिकतम लाभ तभी मिलेगा जब PAU की सिफारिशों का पूर्ण पालन किया जाए।

निष्कर्ष:
PR 126 न केवल पर्यावरण के लिए अनुकूल है बल्कि किसानों की आमदनी बढ़ाने में भी सहायक है। सही समय पर रोपाई और पौधों की सही आयु का पालन कर किसान इस किस्म से बेहतर पैदावार और अधिक लाभ सुनिश्चित कर सकते हैं। PAU ने इसे “सभी हितधारकों के लिए लाभकारी किस्म” घोषित किया है, जो पंजाब के कृषि भविष्य के लिए आशाजनक संकेत है।

Tags : Soil testing | Himachal Agri News. Latest Agriculture News

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