Now even water is in private hands in Delhi! Preparations to divide Jal Board into eight zones, RWA expressed strong opposition
दिल्ली में अब पानी भी निजी हाथों में! जल बोर्ड को आठ जोन में बांटने की तैयारी, RWA ने जताया कड़ा विरोध
16 Jul, 2025 12:47 PM
दिल्ली सरकार राजधानी में जल आपूर्ति व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए बड़ा कदम उठाने जा रही है। बिजली आपूर्ति की तर्ज पर अब पानी और सीवर व्यवस्था को भी निजी हाथों में सौंपने की तैयारी है।
FasalKranti
Fiza, समाचार, [16 Jul, 2025 12:47 PM]
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दिल्ली सरकार राजधानी में जल आपूर्ति व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए बड़ा कदम उठाने जा रही है। बिजली आपूर्ति की तर्ज पर अब पानी और सीवर व्यवस्था को भी निजी हाथों में सौंपने की तैयारी है। इसके तहत दिल्ली जल बोर्ड को आठ अलग-अलग जोन में बांटकर प्रत्येक जोन में एक निजी ऑपरेटर की नियुक्ति की जाएगी। इन निजी ऑपरेटरों को न सिर्फ पानी की सप्लाई और सीवर लाइनों का रखरखाव करना होगा, बल्कि गैर राजस्व जल (Non-Revenue Water) को कम करने और उपभोक्ताओं से बिल वसूली की जिम्मेदारी भी सौंपी जाएगी।
50% पानी हो रहा बर्बाद या चोरी
दिल्ली जल बोर्ड के अनुसार, राजधानी में उपलब्ध कुल पानी में से करीब 50% पानी या तो लीकेज से बर्बाद हो रहा है या चोरी हो रहा है। यह गैर राजस्व जल की श्रेणी में आता है। जल बोर्ड के सामने यह एक बड़ी चुनौती है कि हर उपभोक्ता तक स्वच्छ और पर्याप्त जल पहुंचाया जाए।
एक जोन, एक ऑपरेटर नीति लाने की तैयारी
दिल्ली के जल मंत्री प्रवेश वर्मा ने जानकारी दी है कि सरकार ‘एक जोन, एक ऑपरेटर’ मॉडल को अपनाने की दिशा में काम कर रही है। जल बोर्ड वर्तमान में 29 लाख उपभोक्ताओं को पानी की आपूर्ति करता है और इसके पास 9 जल शुद्धिकरण संयंत्र और लगभग 15,600 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन नेटवर्क है। साल 2011-12 में मालवीय नगर क्षेत्र में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर PPP मॉडल पर निजी कंपनी के ज़रिए जल आपूर्ति की शुरुआत हुई थी। इस योजना का अनुबंध हाल ही में चार महीने के लिए बढ़ाया गया है।
RWA का विरोध: "बिजली के बाद अब पानी भी महंगा होगा"
दिल्ली सरकार के इस फैसले का आरडब्ल्यूए (रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन) ने खुलकर विरोध किया है। यूनाइटेड रेजिडेंट्स ऑफ दिल्ली के महासचिव सौरभ गांधी ने कहा कि बिजली के निजीकरण के बाद उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ा है और अब सरकार पानी को भी प्राइवेट कंपनियों को सौंपकर जनता की जेब पर और भार डालना चाहती है। ईस्ट दिल्ली आरडब्ल्यूए ज्वाइंट फोरम के अध्यक्ष बीएस वोहरा और मॉडल टाउन रेजिडेंट्स सोसाइटी के अध्यक्ष संजय गुप्ता ने भी फैसले को गलत बताते हुए कहा कि बिजली कंपनियों की तरह जल प्रबंधन में भी पारदर्शिता का अभाव रहेगा। उन्होंने आशंका जताई कि निजीकरण के बाद पानी की दरें बढ़ सकती हैं और आम जनता को नुकसान होगा। जहां एक ओर सरकार जल व्यवस्था में सुधार और जल हानि को रोकने के लिए निजीकरण की ओर कदम बढ़ा रही है, वहीं दूसरी ओर आरडब्ल्यूए और सामाजिक संगठनों को इस बात की चिंता है कि इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ सकता है। अब देखना होगा कि सरकार इस योजना को किस तरह लागू करती है और क्या जनता की चिंताओं का समाधान हो पाएगा।