कृषि, भारत की आर्थिक रीढ़ और करोड़ों लोगों के लिए आजीविका का प्राथमिक स्रोत, वर्तमान में एक गंभीर चुनौती का सामना कर रही है: जलवायु परिवर्तन। अप्रत्याशित मानसून, सूखे, बाढ़ और बढ़ते तापमान ने पारंपरिक कृषि के तरीकों को अस्त-व्यस्त कर दिया है। इसके बीच, भारतीय सरकार का एक प्रमुख स्तंभ, राष्ट्रीय मिशन फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर, National Mission for sustainable Agriculture (NMSA), एक मजबूत प्रहरी के रूप में उभर रहा है, जो देश की कृषि को जलवायु परिवर्तन की तबाही का सामना करने की क्षमता प्रदान करने का प्रयास कर रहा है, अर्थात् जलवायु अनुकूल।
NMSA केवल एक योजना नहीं है, बल्कि एक दर्शन भी है। यह स्थायी भविष्य के लिए स्थायी कृषि को अपनाने की मांग करता है। स्थायी कृषि में वे कृषि प्रथाएँ शामिल हैं जो पर्यावरण को नष्ट नहीं करतीं बल्कि वर्तमान जनसंख्या की आवश्यकताओं को पूरा करती हैं और भविष्य के लिए संसाधनों को बचाती हैं। यह मिट्टी के स्वास्थ्य को पोषित करती है, पानी को संरक्षित करती है, और जैव विविधता को बढ़ावा देती है।
NMSA की रणनीति: एक बहु-आयामी दृष्टिकोण
यह मिशन केवल उपज बढ़ाने पर केंद्रित नहीं है, बल्कि यह पारिस्थितिकी तंत्र की समग्रता को सुदृढ़ करने पर जोर देता है। इसकी मुख्य रणनीतियाँ हैं:
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जल उपयोग दक्षता (Water Use Efficiency):
NMSA केवल एक योजना नहीं है, बल्कि एक दर्शन भी है। यह स्थायी भविष्य के लिए स्थायी कृषि को अपनाने की मांग करता है। स्थायी कृषि में वे कृषि प्रथाएँ शामिल हैं जो पर्यावरण को नष्ट नहीं करतीं बल्कि वर्तमान जनसंख्या की आवश्यकताओं को पूरा करती हैं और भविष्य के लिए संसाधनों को बचाती हैं। यह मिट्टी के स्वास्थ्य को पोषित करती है, पानी को संरक्षित करती है, और जैव विविधता को बढ़ावा देती है।
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स्वस्थ मृदा प्रबंधन (Soil Health Management):
उत्पादक फसलों के लिए, मिट्टी की सेहत आवश्यक है। मिशन मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के माध्यम से, किसानों को उनकी कृषि भूमि की पोषक तत्व स्थिति के बारे में सटीक जानकारी प्रदान की जाती है। इस प्रकार, किसान समझदारी से उर्वरक लागू कर पाते हैं, मिट्टी की उर्वरता बनाए रखते हुए और खर्चों को न्यूनतम करते हुए।
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जलवाय-सहिष्णु किस्मे और प्रथाए (Climate-Resilient Varieties & Practices):
NMSA सूखे, लवणता और बाढ़ को बेहतर ढंग से सहन कर सकने वाली फसल किस्मों के विकास और प्रचार पर ध्यान केंद्रित करता है। इसके अतिरिक्त, पारंपरिक ज्ञान जैसे जैविक खेती, मध्य फसली खेती और एकीकृत खेती प्रणाली (जैसे जल कृषि या मुर्गी पालन के साथ फसल उत्पादन) को बढ़ावा दिया जा रहा है। ये प्रथाएं जोखिम को कम करती हैं और साथ ही, किसान की आय के स्रोतों को बढ़ाती हैं।
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कृषि-वानिकी और वृक्षारोपण (Agro-forestry & Plantation):
खेतों के bunds पर पेड़ लगाना और agroforestry को बढ़ावा देना मिशन के महत्वपूर्ण पहलू हैं। यह मिट्टी के कटाव को कम करता है और जैव विविधता को बढ़ाता है और एक कार्बन सिंक बनाता है जो जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए सहायक है।
चुनौतियाँ और अवसर
राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन, Sustainable Agriculture का मार्ग चुनौतीपूर्ण से मुक्त नहीं है। छोटे और सीमांत किसानों तक संसाधनों और प्रौद्योगिकी की पहुंच प्रदान करना, उन्हें नए तरीकों में प्रशिक्षित करना, और पारंपरिक तरीकों से जुड़े मानसिकता में बदलाव लाना कोई आसान काम नहीं है। इसके लिए grassroots स्तर पर मजबूत विस्तार सेवाएं और स्थानीय भाषाओं में जागरूकता की आवश्यकता है।
हालांकि कई चुनौतियाँ हैं, लेकिन अवसर भी प्रचुर मात्रा में हैं। स्थायी कृषि में संक्रमण पर्यावरण के लिए लाभकारी होगा, किसानों के खर्च को कम करेगा, उनकी आय को स्थिर करेगा, और दीर्घकालिक उत्पादकता को बढ़ाएगा। यह मिशन 'आत्मनिभर भारत' के दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए भी अंतर को कम करता है यदि अपेक्षित वृद्धि विफल होती है।
निष्कर्ष
राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन एक अलग सोच के साथ एक सशक्त पहल के रूप सफर कर रही है, और कृषि क्षेत्र में नई दिशाएँ और संभावनाएँ एकदम खुलता नज़र आ रहा है। ये सिर्फ एक सरकारी परियोजना नहीं है, बल्कि ये हर एक नागरिक, किसान और गाँव के लोगों की भी ज़िम्मेदारी है की हर किसी काम में प्राथमिकता इन्हीं के सिद्धांतो को दी जाए। जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक समस्या है लेकिन उसका हल एक मात्र सतत कृषि कें सिद्धांतों के साथ नीचे स्तर पर ही किया जा सकता है। NMSA दक्षिण प्रायद्वीप की अनुसंधान और विकास के जुड़ने वाली पहली परियोजना है, जिसके लक्ष्य ये सुनिश्चित करना है की भारत की कृषि देश की आने वाली पीढ़ियों के लिए भी सुरक्षित और उत्पादकता से भरपूर बनी रहे।
Tags : National Mission for sustainable Agriculture | Sustainable Agriculture
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