केंद्र सरकार ने नैनो उर्वरकों (Nano Fertilizers) जैसे नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इन कदमों का उद्देश्य किसानों तक आधुनिक और किफायती उर्वरकों की पहुँच सुनिश्चित करना और संतुलित खाद उपयोग को प्रोत्साहित करना है।
सरकार ने किसानों को जागरूक करने के लिए प्रचार अभियान, वेबिनार, फील्ड डेमोन्स्ट्रेशन, किसान सम्मलेन और क्षेत्रीय भाषाओं में फिल्में तैयार की हैं। साथ ही, नैनो उर्वरकों की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए इन्हें प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्रों (PMKSKs) पर उपलब्ध कराया जा रहा है।
नैनो यूरिया और नैनो डीएपी को नियमित आपूर्ति योजना में शामिल कर लिया गया है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान, भोपाल ने हाल ही में ‘संतुलित और दक्ष खाद उपयोग’ पर राष्ट्रीय अभियान भी चलाया है।
किसानों की सुविधा के लिए सरकार ने किसान ड्रोन और बैटरी चालित स्प्रेयर उपलब्ध कराए हैं। इनका उपयोग नैनो उर्वरकों को पत्तों पर छिड़काव (फोलियर एप्लीकेशन) के माध्यम से करने में आसानी प्रदान करता है। इसके साथ ही, गाँव स्तर पर उद्यमियों (Village Level Entrepreneurs) के जरिए पायलट ट्रेनिंग और कस्टम हायरिंग स्प्रे सेवाएँ भी शुरू की गई हैं।
इसके अलावा, कृषि मंत्रालय और उर्वरक कंपनियों ने देश के सभी 15 कृषि-जलवायु क्षेत्रों में नैनो डीएपी को अपनाने के लिए “महाअभियान” चलाया है। साथ ही, 100 जिलों में नैनो यूरिया प्लस के प्रदर्शन और जागरूकता कार्यक्रम भी शुरू किए गए हैं।
राज्यवार बिक्री आँकड़े
31 जुलाई 2025 तक देशभर में नैनो यूरिया की 1083.214 लाख बोतलें और नैनो डीएपी की 292.455 लाख बोतलें (500ml प्रत्येक) बेची जा चुकी हैं।
छोटे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों जैसे मिजोरम, मणिपुर, त्रिपुरा, दिल्ली और पुदुचेरी में भी नैनो उर्वरकों का उपयोग शुरू हो चुका है, जबकि कुछ क्षेत्रों जैसे अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप और सिक्किम में अभी इसकी शुरुआत नहीं हुई है।
सरकार का मानना है कि नैनो यूरिया और नैनो डीएपी का बढ़ता उपयोग न केवल किसानों की लागत घटाएगा बल्कि मिट्टी की सेहत, पर्यावरण संरक्षण और फसल उत्पादन की गुणवत्ता में भी सकारात्मक बदलाव लाएगा।