खेती की दुनिया में एक नई क्रांति आ गई है। पारंपरिक हल-बैल और खेतों की जगह अब ड्रोन, सेंसर और ऊंची इमारतों में लगे हाइड्रोपोनिक सिस्टम ले रहे हैं। आधुनिक कृषि पद्धतियाँ, जिन्हें सामूहिक रूप से 'स्मार्ट फार्मिंग' या 'एग्रीटेक' कहा जाता है, न केवल खेती के तरीके बदल रही हैं बल्कि भविष्य की वैश्विक खाद्य सुरक्षा की कुंजी भी बन रही हैं।
कुछ प्रमुख आधुनिक खेती की विधियाँ:
1.सटीक खेती
आधुनिक खेती की नींव है सटीक खेती (Precision Agriculture)। इसमें ड्रोन और जीपीएस-निर्देशित मशीनरी का उपयोग किया जाता है। ड्रोन खेतों की ऊपर से तस्वीरें लेकर मिट्टी की गुणवत्ता, पानी की स्थिति और फसलों के स्वास्थ्य का विस्तृत डेटा एकत्र करते हैं। जीपीएस से लैस ट्रैक्टर और बीज बोने/खाद डालने वाली मशीनें इस डेटा के आधार पर काम करती हैं, यानी जहाँ जितनी जरूरत हो उतना ही संसाधन इस्तेमाल करती हैं। इससे संसाधनों का कुशल उपयोग होता है, लागत कम होती है और पर्यावरण पर दबाव घटता है।
2.मिट्टी-रहित खेती: कृषि का भविष्य
शहरीकरण और उपजाऊ जमीन की कमी की चुनौतियों को देखते हुए मिट्टी-रहित खेती (Soilless Farming) के तरीके विकसित हुए हैं:
- हाइड्रोपोनिक्स: इस विधि में पौधों को मिट्टी के बिना, पानी में घुले पोषक तत्वों के घोल से सीधे पोषण दिया जाता है। इससे पानी की बचत होती है और फसलों की वृद्धि तेज होती है।
- एरोपोनिक्स: यह हाइड्रोपोनिक्स से भी एक कदम आगे है। इसमें पौधों की जड़ें हवा में लटकी होती हैं और उन पर पोषक तत्वों का घोल छिड़काव करके पहुँचाया जाता है। इससे पानी की खपत और भी कम हो जाती है।
- एक्वापोनिक्स: यह एक समन्वित प्रणाली है जहाँ मछली पालन (एक्वाकल्चर) और हाइड्रोपोनिक खेती को एक साथ जोड़ा जाता है। मछली के टैंक का पानी, जिसमें मछली के अपशिष्ट पदार्थ होते हैं, पौधों के लिए प्राकृतिक खाद का काम करता है। पौधे इस पानी को साफ करते हैं और वह पानी दोबारा मछली के टैंक में चला जाता है। यह एक पूरी तरह से टिकाऊ और स्व-निर्भर प्रणाली है।
आधुनिक खेती का महत्व:
- आधुनिक खेती का सबसे बड़ा महत्व बढ़ती वैश्विक आबादी की खाद्य माँग को पूरा करना है।
- जनसंख्या में निरंतर वृद्धि के साथ, पारंपरिक कृषि पद्धतियाँ अब पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराने में अपर्याप्त साबित हो रही हैं।
- ऐसे में, सटीक खेती, हाइड्रोपोनिक्स और वर्टिकल फार्मिंग जैसी आधुनिक तकनीकें ही हैं जो सीमित कृषि भूमि पर अधिक उपज सुनिश्चित करके इस चुनौती का सामना करने में मदद करती हैं।
- इन पद्धतियों का एक मुख्य उद्देश्य संसाधनों का कुशल उपयोग करना भी है, जहाँ पानी, उर्वरक और पोषक तत्वों का न्यूनतम उपयोग करके अधिकतम उपज प्राप्त की जाती है।
- यह दक्षता न केवल लागत कम करती है बल्कि पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देती है।
ऊर्ध्वाधर खेती: आकाश की ओर बढ़ती खेती
वर्टिकल फार्मिंग (Vertical Farming) शहरी कृषि का सबसे प्रगतिशील रूप है। इसमें बहु-स्तरीय इमारतों में, नियंत्रित वातावरण में, अक्सर हाइड्रोपोनिक या एरोपोनिक तरीकों से फसलें उगाई जाती हैं। इससे कम जगह में अधिक उपज मिलती है और फसलों पर मौसम का कोई असर नहीं होता, जिससे साल भर उत्पादन संभव है।
लक्ष्य और लाभ
इन सभी आधुनिक तकनीकों का मुख्य लक्ष्य है:
- संसाधन दक्षता: पानी, खाद और जमीन का कम से कम उपयोग कर अधिकतम उपज प्राप्त करना।
- जल संरक्षण: मिट्टी-रहित तरीके पारंपरिक खेती की तुलना में 90% तक कम पानी का इस्तेमाल करते हैं।
- उच्च गुणवत्ता: नियंत्रित वातावरण में कीटनाशकों की कम जरूरत होती है, जिससे स्वच्छ और उच्च गुणवत्ता वाली उपज मिलती है।
- वैश्विक खाद्य सुरक्षा: बढ़ती आबादी और सीमित संसाधनों के बीच, ये तकनीकें भविष्य की बढ़ती वैश्विक खाद्य मांग को पूरा करने में अहम भूमिका निभाएंगी।
निष्कर्ष
आधुनिक खेती की ये विधियाँ केवल तकनीकी उन्नति नहीं हैं, बल्कि एक स्थायी और खाद्य-सुरक्षित भविष्य की ओर एक जरूरी कदम हैं। यह क्रांति किसानों को 'डेटा-वैज्ञानिक' बना रही है और खेती को एक आकर्षक और भविष्योन्मुखी पेशा साबित कर रही है।
Tags : Latest News | Agriculture | Himachal | Farming
Related News
मिथिलांचल मखाना उत्पादक संघ, पूर्णिया को मिला प्लांट जीनोम सेवियर कम्युनिटी अवार्ड 2022-23
पीएयू युवा महोत्सव के चौथे दिन पंजाबी विरासत और युवाओं की प्रतिभा का हुआ संगम
परंपरा और प्रतिभा का संगम बना पीएयू युवा महोत्सव का तीसरा दिन
अलवर: प्याज के लागत से भी कम दाम से आहत किसानों ने नदी में फेंकी फसल
दिल्ली ब्लास्ट: भूटान दौरे से लौटकर PM मोदी ने सीधे अस्पताल पहुंचकर घायलों से की मुलाकात
टीबीआई के संभावित कृषि उद्यमियों ने किया पीएयू, लुधियाना का दौरा
पीएयू प्राणी विज्ञान सोसायटी ने किया फ्रेशर्स वेलकम और फेयरवेल समारोह का आयोजन
ऑर्गेनिक मीट बाजार में दस्तक, सेहत और सस्टेनेबिलिटी को मिल रगी तवज्जो
पीएयू-एनएसएस इकाई ने “स्वच्छ कैंपस, हरित कैंपस” पहल को सफलतापूर्वक आयोजित किया
बाढ़ प्रभावित किसानों की मदद के लिए पीएयू ने शुरू किया बीज सहायता अभियान