धान की फसल में लगने वाली प्रमुख बीमारियाँ और उनका प्रबंधन
21 May, 2025 04:26 PM
मौसम में बदलाव, कीटों का प्रकोप और अनुचित खेती प्रबंधन के कारण धान की फसल को कई रोग लग जाते हैं, जो उत्पादन को कम कर देते हैं।
FasalKranti
Fiza, समाचार, [21 May, 2025 04:26 PM]
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भारत में धान की खेती किसानों के लिए आय का एक प्रमुख स्रोत है, लेकिन कई बीमारियाँ इसकी पैदावार को प्रभावित करती हैं। मौसम में बदलाव, कीटों का प्रकोप और अनुचित खेती प्रबंधन के कारण धान की फसल को कई रोग लग जाते हैं, जो उत्पादन को कम कर देते हैं। आइए जानते हैं धान में लगने वाली प्रमुख बीमारियों और उनके नियंत्रण के उपायों के बारे में।
1. झोंका रोग (ब्लास्ट डिजीज)
यह रोग Pyricularia oryzae नामक फफूंद से होता है। इसके लक्षणों में पत्तियों, तनों और दानों पर भूरे-स्लेटी रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। गंभीर स्थिति में पौधा सूख जाता है।
रोकथाम:
प्रतिरोधी किस्में (जैसे सहभागी, सरजू-52) का उपयोग करें।
फफूंदनाशक जैसे ट्राइसाइक्लाजोल या कार्बेंडाजिम का छिड़काव करें।
2. बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट (Bacterial Leaf Blight)
यह Xanthomonas oryzae बैक्टीरिया के कारण होता है। पत्तियों के किनारों पर पीले-सफेद धारियाँ दिखती हैं, जो बाद में सूख जाती हैं।
रोकथाम स्वस्थ बीज का प्रयोग करें।
खेत में जल निकासी का उचित प्रबंधन करें।
स्ट्रेप्टोसाइक्लिन या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव करें।
3. तना छेदक (Stem Borer)
यह एक कीट जनित रोग है, जिसमें लार्वा तने के अंदर घुसकर पौधे को नुकसान पहुँचाता है। पौधा पीला पड़कर सूख जाता है।
नियंत्रण फसल चक्र अपनाएँ।
नीम के तेल या कीटनाशक जैसे कार्टाप हाइड्रोक्लोराइड का उपयोग करें।
4. खैरा रोग (Khaira Disease)
यह जिंक की कमी से होता है। पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं और पौधे का विकास रुक जाता है।