मध्य पूर्व में एक बार फिर तनाव चरम पर है। ईरान और इज़रायल के बीच बढ़ते सैन्य संघर्ष ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है। इस टकराव का असर अब सिर्फ पश्चिम एशिया तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि इसका खतरा अब वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति और आर्थिक स्थिरता पर मंडराने लगा है। इस सबके केंद्र में एक बार फिर ‘स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज़’ (Strait of Hormuz) आ गया है।
क्या है स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज़?
स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज़ एक संकरा लेकिन अत्यंत महत्वपूर्ण समुद्री जलमार्ग है जो फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और आगे हिंद महासागर से जोड़ता है। यह रास्ता ईरान और ओमान के बीच स्थित है और खाड़ी देशों से निकलने वाले कच्चे तेल व प्राकृतिक गैस का मुख्य निर्यात मार्ग है। दुनिया के लगभग 20% कच्चे तेल का व्यापार इसी जलमार्ग से होता है।
जैसा की हमने बताया दुनिया भर में खपत होने वाले कच्चे तेल का लगभग 20% हिस्सा—जो प्रतिदिन करीब 2 करोड़ बैरल से अधिक होता है—इसी जलमार्ग से होकर गुजरता है। सऊदी अरब, ईरान, इराक, कुवैत, और UAE जैसे तेल उत्पादक देश अपने अधिकांश तेल और गैस का निर्यात इसी रास्ते से करते हैं। इस जलमार्ग के माध्यम से न केवल तेल बल्कि प्राकृतिक गैस की भी आपूर्ति होती है। कतर, जो दुनिया का सबसे बड़ा लिक्विफाइड नैचुरल गैस (LNG) निर्यातक है, अपनी 80% से अधिक गैस स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज़ के जरिये ही भेजता है।
यदि किसी कारणवश स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज़ को बंद कर दिया जाए — चाहे वो सैन्य संघर्ष, राजनीतिक टकराव या सुरक्षा कारण हों तो इससे विश्व की ऊर्जा आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित होगी। तेल और गैस की कीमतों में तुरंत उछाल आ सकता है, जिससे पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ेंगे और महंगाई में तेजी आएगी। खासतौर पर भारत, चीन, जापान और यूरोप जैसे देश जो खाड़ी देशों से ऊर्जा आयात पर निर्भर हैं, उन्हें भारी झटका लग सकता है।
इसके अलावा, वैश्विक शिपिंग इंडस्ट्री, बीमा बाजार और समुद्री व्यापार भी संकट में आ सकता है। कई वैकल्पिक मार्ग मौजूद जरूर हैं, लेकिन वे न केवल अधिक लंबी दूरी के हैं, बल्कि लागत और समय भी कहीं ज्यादा लगते हैं।
हाल के वर्षों में ईरान और पश्चिमी देशों के बीच तनातनी, यमन में चल रहे संघर्ष, और क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा को लेकर उठती चिंताओं ने स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज़ को बार-बार वैश्विक सुर्खियों में ला दिया है। 2025 की शुरुआत में भी कुछ घटनाओं के चलते इस जलमार्ग की सुरक्षा को लेकर अंतरराष्ट्रीय चिंता देखने को मिली।
ईरान-इज़रायल युद्ध से बढ़ा खतरा
2025 में शुरू हुए ईरान और इज़रायल के बीच सैन्य संघर्ष ने पश्चिम एशिया की स्थिरता को गंभीर चुनौती दी है। कई जानकारों का मानना है कि यदि युद्ध और गहराता है, तो ईरान स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज़ को अस्थायी रूप से बंद करने या सीमित करने की धमकी को अमल में ला सकता है। ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स पहले भी इस जलमार्ग को “रणनीतिक हथियार” की तरह उपयोग करने की चेतावनी दे चुके हैं।
यदि ईरान इस रास्ते में रुकावट डालता है या इसे पूरी तरह बंद करता है, तो इसका सीधा असर वैश्विक तेल और गैस आपूर्ति पर होगा। भारत, चीन, जापान और यूरोप जैसे देश, जो खाड़ी देशों से ऊर्जा आयात करते हैं, सबसे अधिक प्रभावित होंगे।
कीमतों पर असर और वैश्विक संकट की आशंका
हॉर्मुज़ जलमार्ग में तनातनी की खबर आते ही तेल की कीमतों में उछाल देखा जा रहा है। कच्चा तेल 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चला गया है, जिससे दुनिया भर में पेट्रोल, डीज़ल और रसोई गैस की कीमतें बढ़ने लगी हैं। अगर स्थिति और बिगड़ी, तो वैश्विक मंदी का खतरा भी उत्पन्न हो सकता है।
अमेरिका और अन्य देशों की प्रतिक्रिया
अमेरिका ने पहले ही स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज़ की सुरक्षा के लिए अपने नौसैनिक बेड़े को तैनात कर दिया है। वहीं, संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ लगातार तनाव कम करने की अपील कर रहे हैं। भारत सहित कई देश इस क्षेत्र में अपने नागरिकों और व्यापारिक हितों की सुरक्षा को लेकर सतर्क हैं।
ईरान-इज़रायल युद्ध अब केवल एक क्षेत्रीय संघर्ष नहीं रह गया है। यह दुनिया की ऊर्जा आपूर्ति और आर्थिक स्थिरता के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है। स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज़ जैसे रणनीतिक जलमार्गों की सुरक्षा अब वैश्विक प्राथमिकता बन गई है। अगर यह रास्ता बाधित होता है, तो पूरी दुनिया में तेल संकट, महंगाई और आर्थिक अस्थिरता की लहर दौड़ सकती है। ऐसे में सभी देशों को संयम, कूटनीति और शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में कदम उठाने की जरूरत है।