कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और देश की अधिकांश जनसंख्या इस पर निर्भर करती है। पारंपरिक कृषि पद्धतियों के स्थान पर अब आधुनिक कृषि तकनीकों का उपयोग बढ़ रहा है, जिससे उत्पादकता में वृद्धि हो रही है और पर्यावरण संरक्षण भी संभव हो पा रहा है। सरकार भी किसानों को आधुनिक तरीकों से खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इस लेख में हम आधुनिक कृषि पद्धतियों, उनके लाभ, पर्यावरण पर प्रभाव और सरकार की भूमिका पर चर्चा करेंगे।
आधुनिक कृषि पद्धतियों में वैज्ञानिक तकनीकों, मशीनीकरण और डिजिटल उपकरणों का उपयोग किया जाता है ताकि कम संसाधनों में अधिक उपज प्राप्त की जा सके। इनमें शामिल हैं:
जैविक खेती में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता, बल्कि जैविक खाद, कंपोस्ट और प्राकृतिक कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है। इससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुँचता।
यह पद्धति महाराष्ट्र के किसान सुभाष पालेकर द्वारा विकसित की गई है। इसमें बाहरी आदानों (उर्वरक, कीटनाशक) पर निर्भरता कम करने के लिए स्थानीय संसाधनों का उपयोग किया जाता है। इससे लागत कम होती है और मिट्टी स्वस्थ रहती है।
इन तकनीकों में पानी या हवा के माध्यम से पौधों को पोषक तत्व दिए जाते हैं। मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती, इसलिए यह शहरी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। इससे पानी की बचत होती है और फसलों की गुणवत्ता बेहतर होती है।
इस पद्धति में सेंसर, ड्रोन और जीपीएस तकनीक का उपयोग करके खेत की सटीक निगरानी की जाती है। पानी, उर्वरक और कीटनाशकों का उपयोग आवश्यकता के अनुसार किया जाता है, जिससे संसाधनों की बचत होती है।
जैव प्रौद्योगिकी के माध्यम से फसलों को रोग-प्रतिरोधी और अधिक उपज देने वाला बनाया जाता है। हालांकि, इसके दीर्घकालिक प्रभावों पर बहस जारी है।
भारत सरकार और राज्य सरकारें आधुनिक कृषि को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएँ चला रही हैं:
इस योजना के तहत ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई को प्रोत्साहित किया जाता है ताकि पानी की बचत हो सके।
इस योजना के माध्यम से जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाता है और किसानों को प्रमाणन व वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
किसानों को मिट्टी की गुणवत्ता की जानकारी दी जाती है ताकि वे सही मात्रा में उर्वरकों का उपयोग कर सकें।
यह एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जहाँ किसान अपनी उपज को सीधे बाजार में बेच सकते हैं, जिससे मध्यस्थों की जरूरत कम होती है।
ड्रोन तकनीक का उपयोग करके खेतों में कीटनाशक छिड़काव और निगरानी की जाती है, जिससे समय और श्रम की बचत होती है।
आधुनिक कृषि पद्धतियाँ न केवल किसानों के लिए फायदेमंद हैं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित हैं। सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएँ किसानों को नई तकनीकों को अपनाने में मदद कर रही हैं। यदि अधिक से अधिक किसान आधुनिक खेती को अपनाएँ, तो भारत की कृषि उत्पादकता में क्रांतिकारी बदलाव आ सकता है और हम एक हरित भविष्य की ओर अग्रसर हो सकते हैं।
इसलिए, किसानों को चाहिए कि वे पारंपरिक तरीकों के साथ-साथ आधुनिक तकनीकों को भी अपनाएँ और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाएँ। इससे न केवल उनकी आय बढ़ेगी, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।