केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह की अध्यक्षता में मध्यप्रदेश के इंदौर में "इनलैंड फिशरीज एंड एक्वाकल्चर मीट 2025" का आयोजन किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री प्रो. एस. पी. सिंह बघेल, जॉर्ज कुरियन, विभिन्न राज्यों के मत्स्य मंत्री, विभागीय अधिकारी और आईसीएआर संस्थानों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।
अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह ने कहा कि भारत के आंतरिक राज्यों ने मत्स्य क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है और अब आवश्यकता है इसे तकनीक और नवाचार के माध्यम से और आगे बढ़ाने की। उन्होंने बताया कि मत्स्य पालन क्षेत्र की वार्षिक औसत वृद्धि दर 9% रही है — जो कृषि से जुड़ी अन्य सभी क्षेत्रों में सबसे अधिक है और इससे लगभग 3 करोड़ लोगों को आजीविका मिल रही है।
उन्होंने सरकार की प्रमुख योजनाओं नीली क्रांति, एफआईडीएफ (FIDF), प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY), केसीसी, और पीएम-एमकेएसएसवाई — का जिक्र करते हुए बताया कि इन योजनाओं के तहत अब तक ₹38,572 करोड़ से अधिक की राशि निवेश की गई है। उन्होंने राज्यों से आग्रह किया कि वे एफआईडीएफ का बेहतर उपयोग करें, ICAR के साथ योजना कार्यान्वयन को समन्वयित करें, और कोल्डवॉटर फिशरीज, शोभा मछली (ornamental fish) और लवणीय जलीय कृषि को बढ़ावा देकर निर्यात क्षमता में इज़ाफा करें।
मत्स्य विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने कहा कि उत्पादन बढ़ाने के लिए गुणवत्तापूर्ण बीज की उपलब्धता और ICAR के सहयोग से ब्रूड बैंक की स्थापना जरूरी है। उन्होंने बताया कि पाले जाने वाले क्षेत्र को 55 से बढ़ाकर 70 लाख हेक्टेयर और उत्पादकता को 5 से 10 टन/हेक्टेयर तक ले जाने का लक्ष्य है।
उन्होंने सलाइन एक्वाकल्चर, शोभा मछली, ट्राउट और झींगा (श्रिम्प) की निर्यात संभावनाओं को उजागर किया। साथ ही RAS और बायोफ्लॉक तकनीकों के जरिये टिकाऊ उत्पादन पर भी बल दिया। प्रशिक्षण, कौशल विकास और परंपरागत मछुआरों की क्षमताओं को बढ़ाने की आवश्यकता बताई गई।
मत्स्य पालन विभाग के संयुक्त सचिव श्री सागर मेहरा ने 15 आंतरिक राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की उपलब्धियों और प्राथमिकताओं की जानकारी दी। कार्यक्रम के तकनीकी सत्रों में बेहतर बीज उत्पादन, जलाशयों और नदी मत्स्यपालन नीति, ठंडे पानी की मछलियों का विकास, और तकनीकी हस्तक्षेप के माध्यम से संभावनाओं को दोहन जैसे विषयों पर चर्चा हुई।
राज्यों ने ड्रोन आधारित निगरानी, नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग, और कोल्ड स्टोरेज व मार्केटिंग को मजबूत करने की दिशा में उठाए गए कदम साझा किए।