खेती को तकनीक से जोड़ते हुए अंतरराष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (ICRISAT) ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। वैज्ञानिकों ने एक ऐसी उन्नत तकनीक विकसित की है जिससे अब मिट्टी की सेहत की जांच हफ्तों नहीं, बल्कि कुछ ही मिनटों में की जा सकेगी। खास बात यह है कि यह प्रणाली विशेष रूप से सूखा प्रभावित और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों के लिए तैयार की गई है, जहां मिट्टी की गुणवत्ता गिरने से फसलों पर गहरा असर पड़ता है।
इस नई प्रणाली में सैटेलाइट इमेजिंग और स्पेक्ट्रोस्कोपी जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। इससे वैज्ञानिकों को मिट्टी की गुणवत्ता और क्षरण की स्थिति को 81% तक की सटीकता के साथ मापने में सफलता मिली है। यह पहली बार है जब अर्ध-शुष्क इलाकों के लिए इतनी उन्नत और तेज जांच प्रणाली तैयार की गई है।
ICRISAT के अनुसार, यह तरीका पारंपरिक लैब जांच की तुलना में न सिर्फ सस्ता है, बल्कि बहुत तेज भी है। पहले जहां किसानों को रिपोर्ट के लिए हफ्तों इंतजार करना पड़ता था, अब कुछ ही मिनटों में परिणाम मिल जाएंगे। इससे किसान मिट्टी की स्थिति के अनुसार अपनी फसलों की योजना तुरंत बना सकेंगे।
रिसर्च में पाया गया कि जिन खेतों में सिंचाई की अच्छी सुविधा थी, वहां मिट्टी के खराब होने का असर फसल पर कम हुआ। इसके विपरीत, वर्षा आधारित खेती वाले क्षेत्रों में मिट्टी की सेहत बिगड़ने से उत्पादन में गिरावट आई। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि सिंचाई व्यवस्था मिट्टी के क्षरण को रोकने में अहम भूमिका निभा सकती है।
यह तकनीक छोटे और सीमांत किसानों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है। हर खेत के लिए अलग-अलग डेटा मिलने से किसान यह तय कर पाएंगे कि कहां क्या सुधार की जरूरत है—जैसे सिंचाई, जैविक खाद या मिट्टी सुधार के अन्य उपाय।
ICRISAT के रिसर्च और इनोवेशन के उप महानिदेशक स्टैनफोर्ड ब्लेड ने कहा, "यह तकनीक न सिर्फ खेती को मजबूत बनाएगी, बल्कि नीति निर्माताओं को भी समय पर जरूरी जानकारी देकर खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करेगी।"