आज हम जानेंगे अफीम के खेती के बारे में। सबसे पहले जानते है अफीम है क्या। आपको बता दें इसका रंग कला होता है और स्वाद कड़वा होता है। बाज़ार में अफीम घनाकार बर्फी के रूप में मिलती है मगर ये आम जान के लिए आसानी से उपलब्ध रहने वाली चीज़ नहीं होती क्यूंकि इसका प्रयोग काफी सेंसटिव मन जाता है। कई लोग इसे नशे के रूप में प्रयोग करते है।
अब जानते है अफीम की खेती कैसे करते है-
गहरी काली मिटटी होती है सबसे उपयुक्त -
माना जाता है की अफीम को हर तरह की भूमि में उगाया जा सकता है। जिस भूमि में पानी का निकास उचित प्रकार से झोटा है वो मृदा इसकी खेती के लिए अछि होती है तथा इसके अलावा गहरी काली मिट्टी जिसमे जिवांश पदार्थ की भरपुरमात्रा होती है उस मिट्टी में अफीम की सफलतापूर्वक खेती की जाती है।
अफीम के बुवाई का अच्छा तरीका
बीज या तो बोया जाता है या लाईनो में प्रसारित किया जाता है। समान रूप से फैलाने के लिए प्रसारण से पहले सीड आमतौर पर ठीक से रेत के साथ मिलाया जाता है। इसके लिए लाईन बुवाई को पसंद किया जाता है क्यूंकि बाद की विधि में उच्च बीज ,ख़राब फसल स्टैंड और परम्परागत कार्यों को करने में कठिनाई जैसी कई कमियों प्राप्त होती है।
भूमि का ठीक प्रकार से चयन -
अफीम की खेती के लिए चिकनी दोमट मिट्टी ,काली मिट्टी अधिक उपयुक्त मानी जाती है। तथा निकास होना चाहिए। मिट्टी का पि.एच मान 7 के आसपास होना चाहिए।
खेत को बढ़िया बनना -
आपको बता दें विशेषज्ञों का मानना है की अफीम का बीज बहुत छोटा होता है। अतः खेत की तैयारी का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इसलिए खेत की दो बार खड़ी तथा आड़ी जुताई की जाती है। खेत की 3 -4 जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लिया जाता है। इसके पश्चात कृषिकार्य की सुविधा के अनुसार क्यारियां तैयार कर ली जाती है।
अफीम के ये आयुर्वेदिक फायदे आपको चौंका देंगे -
अफीम का अधिक मात्रा में सेवन करने से शरीर सांवला हो जाता है। अफीम दोषों को दूर करने वाला होता हैं। भांग के बीज अफीम के दोषों को खत्म कर देती हैं। आयुर्वेद के अनुसार अफीम की प्रकृति गर्म और प्रभाव में नशीली होने के कारण कफ-वात शामक, पित्त प्रकोपक, नींद लाने वाली, दर्दनाशक, पसीना लाने वाली, शारीरिक स्रावों को रोकने वाली होती है।
यूनानी डॉक्टर के अनुसार
यूनानी डॉक्टर के अनुसार, कमर दर्द, जोड़ों के दर्द, मधुमेह, श्वास के रोग, अतिसार तथा खूनी दस्त में गुणकारी है। सिर दर्द या पुराने सर के दर्द को ठीक करने में अफीम लाभकारी है
सिर दर्द में कैसे करें प्रयोग
आधा ग्राम अफीम और 1 ग्राम जायफल को दूध में पीसकर तैयार लेप को मस्तक पर लगाएं या फिर आधा ग्राम अफीम को 2 लौंग के चूर्ण के साथ हल्का गर्म करके सिर पर लेप लगाने से सर्दी और बादी से उत्पन्न सिर दर्द दूर होगा। ऐसा करने से पुराणने सर का दर्द भी ठीक हो जाता है।
जला/ जुकाम /गला खराब होने पर
नजला/ जुकाम /गला खराब होने पर अफीम के उपयोग से ठीक हो जाता है। अजवायन और अफीम की समान मात्रा पानी में उबाकर छान लें और फिर छाने हुए पानी से गरारे करने से नजला/ जुकाम /गले में आराम आता है।
कमर का दर्दं
कमर का दर्दं चाहे कितना भी पुराना क्यों न हो पर अफीम से ठीक हो जाता है। एक चम्मच अफीम के दानों को समान मात्रा में मिश्री के साथ पीसकर एक कप दूध में मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करने से लाभ होगा।