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प्राकृतिक खेती से ग्रामीण भारत में दशहरी आम की खेती को मिली नई जान

04 Aug, 2025 04:05 PM

प्राकृतिक खेती ने ग्रामीण भारत में दशहरी आम की खेती को नई दिशा दी है, जिससे किसानों की आमदनी बढ़ी और उपज की गुणवत्ता भी सुधरी है।

FasalKranti
Himali, समाचार, [04 Aug, 2025 04:05 PM]
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भारत को आमों की धरती कहा जाता है और इनमें से दशहरी आम अपनी विशेष मिठास, खुशबू और विरासत के लिए जाना जाता है। उत्तर प्रदेश के मलिहाबाद  क्षेत्र में उगाया जाने वाला यह आम वर्षों से लोगों के दिलों पर राज कर रहा है। लेकिन रासायनिक खेती के अंधाधुंध प्रयोग से इसकी गुणवत्ता और उत्पादन दोनों ही गिरने लगे थे। तब एक बदलाव की लहर आईप्राकृतिक खेती की। आज  ग्रामीण भारत में दशहरी आम की खेती को नई दिशा और ऊर्जा मिल रही है, वो भी पूरी तरह से प्रकृति के सहारे।

विरासत में मिला फल, संकट में पड़ा

दशहरी आम की उत्पत्ति  लखनऊ के पास दशहरी गांव से मानी जाती है। एक समय यह आम नवाबों के दस्तरख्वान की शान हुआ करता था। लेकिन अधिक उत्पादन और त्वरित लाभ की दौड़ में किसानों ने रासायनिक उर्वरकों का अधिक प्रयोग शुरू कर दिया जिससे  मिट्टी की उर्वरता घटी, कीटों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ी और स्वाद में गिरावट आई।

बदलाव की ओर: प्राकृतिक खेती की ओर वापसी

प्राकृतिक खेती जिसे शून्य बजट प्राकृतिक खेती (ZBNF) भी कहा जाता है, अब ग्रामीण भारत में एक आंदोलन बन चुकी है। यह खेती गाय के गोबर, गोमूत्र और घरेलू जैविक घटकों पर आधारित होती है। मलिहाबाद, बाराबंकी और हरदोई  जैसे क्षेत्रों में इसे अपनाने वाले किसान एक बार फिर से  दशहरी आम की श्रेष्ठता की ओर लौट रहे हैं।

दशहरी आम के लिए प्राकृतिक खेती के स्तंभ

1. जीवामृत और बीजामृत: मिट्टी को पोषण देने की कला

दशहरी आम के पेड़ों को जीवंत बनाए रखने के लिए  जीवामृत  का प्रयोग किया जाता है, जिसमें गोबर, गुड़, बेसन, मिट्टी और गोमूत्र मिलाया जाता है। यह घोल मिट्टी की सूक्ष्मजीव गतिविधियों को बढ़ाता है और पेड़ों की जड़ों को गहराई तक पोषक तत्व पहुंचाता है।

2. मल्चिंग: जल संरक्षण और पोषण की तकनीक

अब किसान खेतों में सूखी पत्तियों और फसल अवशेषों से मल्चिंग करते हैं जिससे मिट्टी में नमी बनी रहती है, खरपतवार कम होता है और केंचुए सूक्ष्मजीव सक्रिय रहते हैं।

3. प्राकृतिक कीटनाशक: कीट नियंत्रण अब रसायनमुक्त

अब किसान  नीमास्त्र, अग्नास्त्र और ब्रह्मास्त्र जैसे पारंपरिक कीटनाशकों का उपयोग कर रहे हैं जो नुकसानदेह कीटों को नियंत्रित करते हैं और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते।

गांवों की आवाज़: किसानों की जुबानी

मलिहाबाद के काकोरी क्षेत्र के किसान रमेश यादव बताते हैं, पिछले तीन सालों से मैं प्राकृतिक खेती कर रहा हूँ। अब मेरे आम मीठे, खुशबूदार और बाजार में ज्यादा दाम पर बिकते हैं। वहीं, बाराबंकी की सुशीला देवी कहती हैं, प्राकृतिक आम की मांग अब लखनऊ और दिल्ली जैसे शहरों में बढ़ रही है। लोग अब शुद्ध और देसी फल चाहते हैं।

 प्राकृतिक खेती से मिले विविध लाभ

1. स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक फल

प्राकृतिक तरीके से उगाए गए दशहरी आम सिर्फ रसायन मुक्त होते हैं, बल्कि उनमें अधिक स्वाद और पोषण भी होता है।

2. पर्यावरण संरक्षण

कीटनाशकों और रासायनों के बगैर खेती करने से मिट्टी, जल और जैव विविधता को लाभ हुआ है। अब खेतों में फिर से केंचुए, तितलियां और चिड़ियों की वापसी हो रही है।

3. आर्थिक लाभ

कम लागत में अधिक मुनाफायही है प्राकृतिक खेती की सबसे बड़ी ताकत। कई किसान अब सहकारी समितियों और स्थानीय बाजारों के माध्यम से सीधे उपभोक्ताओं तक आम बेचकर बेहतर दाम पा रहे हैं।

सरकारी और गैर-सरकारी समर्थन

उत्तर प्रदेश सरकार की योजनाएं जैसे  परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) किसानों को प्रशिक्षण और सहायता दे रही हैं। एनजीओ जैसे नवदायन और हरित क्रांति किसानों को प्राकृतिक खेती में मार्गदर्शन और बाजार से जोड़ने में मदद कर रहे हैं।

चुनौतियाँ और समाधान

शुरुआती वर्षों में उत्पादन कम हो सकता है और प्राकृतिक इनपुट्स की उपलब्धता एक समस्या है। लेकिन  समूहिक प्रयास और सहयोगी तंत्र से इन चुनौतियों को पार किया जा सकता है।

दशहरी आम और प्राकृतिक खेती: एक आदर्श मेल

स्थानीय अनुकूलन: दशहरी पेड़ स्थानीय मिट्टी और जलवायु में बिना रासायनिक मदद के फलता-फूलता है।

गहराई से पोषण: गहरी जड़ें और प्राकृतिक खाद से बेहतर स्वाद मिलता है।

सुगंध और मिठास में वृद्धि: रसायन रहित उपज का स्वाद लाजवाब होता है।

बाजार की बदलती तस्वीर

अब लखनऊ के गोमती नगर, हजरतगंज और अलीगंज में सप्ताहिक ऑर्गेनिक हाट्स लगते हैं जहाँ प्राकृतिक दशहरी आम की विशेष मांग होती है। -कॉमर्स प्लेटफॉर्म जैसे BigBasket और Farmizen भी इन आमों को घर तक पहुंचा रहे हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. प्राकृतिक खेती क्या है और यह जैविक खेती से कैसे अलग है?

प्राकृतिक खेती पूरी तरह स्थानीय संसाधनों पर आधारित है जबकि जैविक खेती में बाहरी जैविक उत्पादों की अनुमति होती है।

2. दशहरी आम भारत में कहाँ उगाया जाता है?

मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के*मलिहाबाद, बाराबंकी, हरदोई और उन्नाव जिलों में।

3. प्राकृतिक खेती दशहरी आम के लिए क्यों उपयुक्त है?

यह मिट्टी की उर्वरता, स्वाद और गुणवत्ता को बढ़ाती है, जो दशहरी आम की विशेषताएं हैं।

4. प्राकृतिक खेती से लाभ कब दिखने लगते हैं?

मिट्टी की गुणवत्ता कुछ महीनों में सुधरती है, लेकिन अच्छे फल आने में 2–3 साल लग सकते हैं।

5. क्या ये आम महंगे होते हैं?

हां, किंतु थोड़े से ही। उपभोक्ता शुद्धता, स्वाद और पोषण के लिए थोड़ा अधिक भुगतान करने को तैयार रहते हैं।

6. किसान प्राकृतिक खेती कैसे शुरू कर सकते हैं?

छोटे पैमाने से शुरू करें, प्रशिक्षण लें, स्थानीय संसाधनों का उपयोग करें और किसान समूहों से जुड़ें।

निष्कर्ष: मिट्टी, मेहनत और मिठास की वापसी

प्राकृतिक खेती केवल दशहरी आम की खेती को पुनर्जीवित कर रही है, बल्कि किसानों को सम्मान, पर्यावरण को राहत और उपभोक्ताओं को शुद्ध स्वाद दे रही है। आज मलिहाबाद से लेकर बाराबंकी तक, दशहरी आम फिर से अपनी विरासत को जी रहा हैप्रकृति की गोद में, बिना रसायनों के।




Tags : Dasheri aam | Natural Farming | Rural India

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