Due to the increasing demand of Makhana, the farmers of Bihar demand that a separate market be created in the state.
मखाने की बढ़ती मांग को लेकर बिहार के किसानों की डिमांड, राज्य में बनें अलग बाजार
04 Mar, 2025 03:27 PM
बिहार का सुपरफूड 'फॉक्स नट्स' यानी मखाना अब सिर्फ राज्य ही नहीं, बल्कि पूरे देश के ध्यान का केंद्र बन चुका है. चुनावी वर्ष में इसने अपनी अहमियत और लोकप्रियता में अचानक वृद्धि पाई है.
FasalKranti
Fiza, समाचार, [04 Mar, 2025 03:27 PM]
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बिहार का सुपरफूड 'फॉक्स नट्स' यानी मखाना अब सिर्फ राज्य ही नहीं, बल्कि पूरे देश के ध्यान का केंद्र बन चुका है. चुनावी वर्ष में इसने अपनी अहमियत और लोकप्रियता में अचानक वृद्धि पाई है, और इसका श्रेय हाल ही में पेश किए गए यूनियन बजट 2025 को जाता है, जिसमें मखाना को एक खास स्थान दिया गया है. इस निर्णय ने न सिर्फ मखाना के उत्पादन को बढ़ावा दिया, बल्कि किसानों के लिए भी नए अवसर खोले हैं.
किसानों की उम्मीदें और चुनौतियां बिहार में मखाना की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि सरकार को इस फसल की खेती के हर चरण में मज़दूरी के लिए दर तय करनी चाहिए, ताकि बुवाई से लेकर रोपाई, कटाई और पैकेजिंग तक, हर चरण में किसान को उचित मुआवजा मिल सके. इससे मखाना की खेती से जुड़े किसानों के साथ हो रहे शोषण को रोका जा सकेगा. किसानों का यह भी कहना है कि सरकार को स्थानीय बाज़ार बनाने चाहिए, ताकि वे बिचौलियों पर निर्भर हुए बिना अपने उत्पाद बेच सकें. आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़े हाल ही में हुए बिहार आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, 2023-24 में राज्य में मखाना का उत्पादन 56.4 हज़ार टन था और यह 27.8 हज़ार हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ था. हालांकि, बिहार में मखाना की मार्केटिंग व्यवस्था, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों और निर्यात बुनियादी ढांचे की कमी के कारण, मखाना के निर्यात में पंजाब और असम जैसे राज्य अग्रणी हैं. इन राज्यों के माध्यम से मखाना विदेशी बाजारों में निर्यात किया जाता है. सरकार ने मखाना को एक ऐसी फसल के रूप में पहचाना है, जिसमें "एक प्रमुख निर्यात उत्पाद बनने की क्षमता" है. इस दृष्टिकोण से, मखाना की खेती करने वाले मल्लाहों पर विशेष ध्यान दिया गया है, जो राज्य के एक पिछड़े समुदाय के सदस्य हैं और मखाना की खेती पर लगभग एकाधिकार रखते हैं.