भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने एक गरिमामय समारोह में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के महानिदेशक एवं DARE के सचिव डॉ. एम.एल.जाट को मानद उपाधि – ‘डॉक्टर ऑफ साइंस’ (D.Sc. Honoris Causa) से सम्मानित किया। यह सम्मान उन्हें भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (ICAR-IVRI), इज्जतनगर के 11वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर प्रदान किया गया।
दीक्षांत समारोह में देशभर से जुटे विद्यार्थियों, वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों की उपस्थिति में यह समारोह ऐतिहासिक बन गया। यह सम्मान डॉ. जाट के कृषि अनुसंधान, विज्ञान, नीति निर्माण और किसानों की सेवा में दिए गए उत्कृष्ट योगदान को मान्यता देने के रूप में दिया गया है।
डॉ. एम.एल.जाट ने भारतीय कृषि क्षेत्र में कई दशकों से नवाचार और वैज्ञानिक शोध को नई दिशा दी है। वे सतत कृषि विकास, जलवायु अनुकूल खेती, और कृषि नीति के क्षेत्र में अग्रणी रहे हैं। ICAR के अंतर्गत उन्होंने अनेक बहुआयामी अनुसंधान परियोजनाओं का संचालन किया है, जिससे भारत के लाखों किसानों को लाभ मिला है। उनके नेतृत्व में ICAR ने कई नई किस्मों, प्रौद्योगिकियों और मॉडल्स को विकसित कर किसानों तक पहुँचाया है।
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने डॉ. एम.एल जाट को बधाई देते हुए कहा कि यह सम्मान भारतीय कृषि वैज्ञानिक समुदाय की प्रेरणा का स्रोत बनेगा। उन्होंने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि वे अनुसंधान और नवाचार की दिशा में आगे बढ़ें और ग्रामीण भारत के सशक्तिकरण में अपना योगदान दें।
इस अवसर पर ICAR-IVRI से जुड़े पीएचडी, एमवीएससी और बीवीएससी पाठ्यक्रमों के सैकड़ों विद्यार्थियों को डिग्रियाँ प्रदान की गईं। समारोह में पशु चिकित्सा विज्ञान और संबंधित क्षेत्रों में उल्लेखनीय शोध करने वाले छात्रों को पदक और प्रमाण पत्र भी दिए गए।
ICAR-IVRI के इस दीक्षांत समारोह के माध्यम से यह संदेश स्पष्ट हुआ कि भारत में कृषि एवं पशुपालन शिक्षा को वैश्विक मानकों पर ले जाने की प्रतिबद्धता अब और मजबूत हुई है। संस्थान के निदेशक ने कहा कि डॉ. जाट जैसा नेतृत्व मिलने से युवाओं को मार्गदर्शन और प्रेरणा दोनों मिलती हैं।
डॉ. एम.एल.जाट ने सम्मान स्वीकार करते हुए कहा, “यह मानद उपाधि सिर्फ मेरा नहीं, बल्कि देश के हर वैज्ञानिक, किसान और छात्र का सम्मान है जो खेत, प्रयोगशाला और कक्षा में लगातार राष्ट्र निर्माण में जुटे हैं।” उन्होंने कृषि और पशुपालन क्षेत्र के एकीकृत विकास पर जोर देते हुए विज्ञान को जमीन से जोड़ने की जरूरत पर बल दिया।
इस अवसर पर कृषि मंत्रालय, ICAR, IVRI के वरिष्ठ अधिकारियों, शिक्षकों, छात्रों एवं देशभर के विभिन्न कृषि संस्थानों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति रही। यह ऐतिहासिक क्षण भारत की कृषि शिक्षा और अनुसंधान की दिशा में एक मजबूत कदम के रूप में दर्ज हो गया है।