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डीएपी उर्वरक की कीमतें 720 डॉलर प्रति टन पर पहुँची: सरकार पर सब्सिडी का बोझ बढ़ा

09 Jul, 2025 03:54 PM

डीएपी उर्वरक की वैश्विक कीमतें 720 डॉलर प्रति टन तक पहुँच गई हैं, जिससे भारत सरकार पर सब्सिडी का दबाव बढ़ गया है। क्या किसानों को महंगा डीएपी खरीदना पड़ेगा? जानें पूरी जानकारी।

FasalKranti
Fiza, समाचार, [09 Jul, 2025 03:54 PM]
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डीएपी उर्वरक संकट: बढ़ती वैश्विक कीमतें और सरकार की चुनौती

भारत में यूरिया के बाद सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला उर्वरक डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) अंतरराष्ट्रीय बाजार में 720 डॉलर प्रति टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया है। इस वजह से सरकार पर सब्सिडी का बोझ बढ़ने की आशंका है, हालाँकि किसानों को अभी महंगा डीएपी नहीं खरीदना पड़ेगा।

खरीफ सीजन 2025 (अप्रैल-सितंबर) के लिए सरकार ने डीएपी पर सब्सिडी बढ़ाकर 27,799 रुपये प्रति टन कर दी है, लेकिन उर्वरक कंपनियों को आयात पर अभी भी नुकसान हो रहा है। फरवरी 2025 में डीएपी की कीमत 640 डॉलर प्रति टन थी, जो जून तक 720 डॉलर तक पहुँच गई। इसके अलावा, डीएपी के कच्चे माल फॉस्फोरिक एसिड की कीमत भी 1,153 डॉलर प्रति टन के स्तर पर बनी हुई है।

भारत में हर साल लगभग 100 लाख टन डीएपी की खपत होती है, जिसमें से 48 लाख टन देश में ही उत्पादित होता है, जबकि 52 लाख टन आयात किया जाता है। हालाँकि, घरेलू उत्पादन के लिए भी रॉक फॉस्फेट और फॉस्फोरिक एसिड का आयात करना पड़ता है, जिससे भारत डीएपी के मामले में पूरी तरह आयात पर निर्भर है।

डीएपी की लागत और सब्सिडी का गणित

डीएपी का वर्तमान आयात मूल्य 720 डॉलर प्रति टन (लगभग 61,200 रुपये) है, जिसमें सीमा शुल्क, पैकिंग और अन्य खर्चे जोड़ने के बाद कुल लागत 65,000 रुपये प्रति टन तक पहुँच जाती है। सरकार ने डीएपी पर 27,799 रुपये प्रति टन की सब्सिडी दी है, जबकि अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) 27,000 रुपये प्रति टन (1,350 रुपये प्रति बैग) तय किया गया है।

इस हिसाब से, कंपनियों को सब्सिडी + MRP के आधार पर 54,799 रुपये प्रति टन की प्राप्ति होती है, लेकिन आयात लागत 65,000 रुपये होने से उन्हें 10,201 रुपये प्रति टन का नुकसान उठाना पड़ रहा है। सरकार ने कंपनियों को आश्वासन दिया है कि बढ़ी हुई लागत की भरपाई की जाएगी, लेकिन अभी तक कोई लिखित आदेश जारी नहीं हुआ है।

डीएपी आयात को स्थिर रखने के लिए सरकारी प्रयास

डीएपी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार ने मोरक्को (OCP ग्रुप) और सऊदी अरब (माडेन कंपनी) के साथ 20-20 लाख टन प्रति वर्ष के दीर्घकालिक आयात समझौते किए हैं। हालाँकिचीन और रूस से आयात अभी सीमित है, जिसकी वजह से बाजार में कीमतों पर दबाव बना हुआ है। उद्योग जगत के सूत्रों का मानना है कि अगर चीन से डीएपी का निर्यात फिर से शुरू होता है, तो वैश्विक कीमतों में गिरावट आ सकती है।

Fasal Kranti Table (2015-2025)

वर्ष

वैश्विक कीमत ($/टन)

सरकारी सब्सिडी (₹/टन)

खुदरा मूल्य (₹/टन)

2015

$450

₹12,350

₹24,000

2016

$380

₹14,200

₹22,500

2017

$340

₹15,000

₹22,000

2018

$390

₹16,500

₹23,000

2019

$400

₹18,000

₹24,250

2020

$320

₹20,150

₹24,000

2021

$580

₹23,000

₹25,000

2022

$660

₹24,000

₹27,000

2023

$620

₹25,500

₹27,000

2024

$640

₹21,911

₹27,000

2025

$720

₹27,799

₹27,000

 

डीएपी की बढ़ती कीमतों के बावजूद सरकार किसानों को राहत देने के लिए सब्सिडी बढ़ा रही है। हालाँकि, भविष्य में घरेलू फॉस्फेट उत्पादन बढ़ाने और जैविक खाद को बढ़ावा देने की जरूरत है। फसल क्रांति (www.fasalkranti.in) पर बने रहें कृषि समाचारों के लिए!

 



Tags : DAP Fertilizer | DAP Subsidy | Krishi Samachar

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