Shocking study regarding tomatoes! Tomatoes worth thousands of crores wasted!
टमाटर को लेकर चौंकाने वाली स्टडी! हजारों करोड़ों रुपये के टमाटर बर्बाद!
26 Sep, 2024 11:20 AM
टमाटर के बढ़ते दाम अक्सर जमता की जेब पर सीधा असर डालते हैं. हालांकि दाम बढ़ने की कई सारी वजह हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं. भारत में टमाटर का एक बड़ा हिस्सा बर्बाद हो रहा है.
FasalKranti
Fiza, समाचार, [26 Sep, 2024 11:20 AM]
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टमाटर के बढ़ते दाम अक्सर जमता की जेब पर सीधा असर डालते हैं. हालांकि दाम बढ़ने की कई सारी वजह हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं. भारत में टमाटर का एक बड़ा हिस्सा बर्बाद हो रहा है. जी हां, टमाटर को लेकर एक नई स्टडी सामने आई है. मध्यप्रदेश में टमाटर पर हुई इस स्टडी पर यकीन करें तो करीब 15 फीसदी टमाटर तभी नष्ट हो जाता है जब वो खेत में होता है. जबकि 12 फीसदी टमाटर रिटेल लेवल पर बर्बाद हो जाते हैं. इस स्टडी में शामिल लोगों की मानें तो खेत के स्तर पर होने वाले नुकसान के कई कारण हैं जिन पर ध्यान देना काफी जरूरी है. यह स्टडी ऐसे समय में आई है जब पिछले दिनों टमाटर की गिरती-चढ़ती कीमतों ने ग्राहकों और किसान दोनों को ही परेशान कर दिया है.
आखिर क्यों खराब हो जाता है इतना टमाटर एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस स्टडी में 80 किसान भी शामिल हुए थे, इस स्टडी में शामिल हुए किसानों का कहना है कि खेत के स्तर पर टमाटर के नुकसान की कई ऐसी वजहें हैं जो खेती के तरीकों से जुड़ी हैं. स्टडी के अनुसार खेत के स्तर पर टमाटर के नुकसान की मुख्य वजहें खराब उत्पादन, कटाई और कटाई के बाद की परंपराएं जैसे कटाई का समय और तरीका, पैकेजिंग और अस्थायी स्टोरेज शामिल हैं. जबकि स्टोरेज, हैंडलिंग और प्रिजर्वेशन के लिए जरूरी बुनियादी ढांचे की कमी और मौसम की स्थितियां भी नुकसान में जमकर योगदान करती हैं.
सबसे ज्यादा अस्थिर कीमतें आपको बता दें कि भारत में सालाना करीब 20-21 मिलियन टन टमाटर का उत्पादन होता है. यह प्याज और आलू के साथ तीन प्रमुख सब्जियों में से एक है, जिनकी कीमतें सबसे ज्यादा अस्थिर हैं. वर्ल्ड रिसोर्सेज इंडिया (WRI) की तरफ से मध्य प्रदेश के तीन जिलों धार, छिंदवाड़ा और झाबुआ में हुई स्टडी को हाल ही में एक वर्किंग पेपर के तौर पर जारी किया गया था. WRI इंडिया भारत की विकास चुनौतियों का समाधान करने के लिए राज्य और केंद्र सरकारों, व्यवसायों और सिविल सोसायटी के साथ काम करता है.
हजारों करोड़ों रुपये के टमाटर बर्बाद! नाबार्ड कंसल्टेंसी प्राइवेट लिमिटेड (एनएबीसीओएनएस) की साल 2022 में हुई स्टडी के अनुसार, अमरूद (15 प्रतिशत) के बाद टमाटर को दूसरा सबसे ज्यादा नुकसान कटाई के बाद होता है और 11.61 प्रतिशत का नुकसान इसे झेलना पड़ता है. तीन वर्षों (2019-20, 2020-21 और 2021-22) के औसत थोक वार्षिक मूल्यों के आधार पर, साल 2020-21 में कटाई के बाद के नुकसान की कीमत करीब 152,790 करोड़ रुपये (18.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर) आंकी गई थी.