भारत में हजारों वर्षों से गाय और उसके दूध का धार्मिक, सांस्कृतिक और पोषणात्मक महत्व रहा है। खासकर ब्रज क्षेत्र में गाय और दूध-घी की पहचान बेहद खास मानी जाती है। अब इस ऐतिहासिक परंपरा ने आधुनिक उपलब्धि का रूप ले लिया है। इंटरनेशनल डेयरी फेडरेशन (IDF) की "वर्ल्ड डेयरी सिचुएशन 2024" रिपोर्ट के अनुसार, भारत अब दुनिया में सबसे ज्यादा गाय का दूध उत्पादन करने वाला देश बन गया है, अमेरिका और चीन को पीछे छोड़ते हुए।
IDF की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2023 में भारत में 12.9 करोड़ टन गाय के दूध का उत्पादन हुआ, जबकि अमेरिका 10 करोड़ टन और चीन 42 लाख टन पर सिमट गया। हालांकि, यूरोपीय संघ के 27 देशों का संयुक्त उत्पादन 15.4 करोड़ टन है, लेकिन अकेले किसी एक देश के रूप में भारत सबसे बड़ा उत्पादक बनकर उभरा है।
रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और बेलारूस जैसे देशों में भले ही उत्पादन कम है, लेकिन ग्रोथ रेट बहुत तेज है। बांग्लादेश की वृद्धि दर भारत से भी अधिक 7.6% तक पहुंच गई है। वहीं फ्रांस, इटली, जापान और साउथ अफ्रीका जैसे विकसित देशों में गाय के दूध का उत्पादन घट रहा है और निगेटिव ग्रोथ में पहुंच चुका है।
इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है भारत में पशुओं की भारी संख्या। केन्द्रीय पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, देश में करीब 67 करोड़ पशु हैं, जिनमें से 33 करोड़ गो-वंश हैं। हालांकि, इनमें से आधे से ज्यादा पशु गैर-दुधारू हैं, फिर भी भारत कुल दूध उत्पादन में नंबर वन है।
भारत सरकार द्वारा 2014 में शुरू किए गए राष्ट्रीय गोकुल मिशन ने देसी नस्लों को बढ़ावा देकर दूध उत्पादन को नई ऊंचाई दी। योजना के तहत ₹2400 करोड़ का प्रावधान किया गया था। 2013-14 में जहां दुधारू पशुओं की संख्या 84 मिलियन थी, वहीं 2021-22 में ये आंकड़ा बढ़कर 120 मिलियन के पार पहुंच गया। इसी तरह गोपशु दूध उत्पादन में भी बड़ी छलांग देखने को मिली है।