वित्त मंत्रालय द्वारा तय की जाती है और यह हर तिमाही में इसकी समीक्षा की जाती है। वर्तमान में वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर 2025) के लिए यह दर 7.1% प्रतिवर्ष है। यह ब्याज वार्षिक रूप से चक्रवृद्धि होता है और हर वित्तीय वर्ष के अंत में (31 मार्च को) खाते में जमा किया जाता है। ब्याज की गणना हर महीने की पांचवीं तारीख और महीने के आखिरी दिन के बीच की सबसे कम शेष राशि पर की जाती है। इसलिए, अधिकतम ब्याज पाने के लिए निवेशकों को महीने की पाँच तारिख से पहले ही अपने खाते में जमा करना फायदेमंद रहता है।
पीपीएफ की लोकप्रियता का कारण इसके कई अनूठे फायदे हैं:
टैक्स बचत (EEE категория): पीपीएफ एक EEE (Exempt-Exempt-Exempt) योजना है। इसका मतलब है:
निवेश पर छूट: हर साल की गई जमा राशि पर आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत ₹1.5 लाख तक की कर कटौती मिलती है।
ब्याज पर छूट: खाते में अर्जित ब्याज पूरी तरह से कर-मुक्त होता है।
परिपक्वता राशि पर छूट: 15 साल बाद मिलने वाली पूरी राशि भी कर-मुक्त होती है।
जोखिम-मुक्त निवेश: पीपीएफ एक सरकार-समर्थित योजना है, इसलिए इसमें निवेश की गई मूल राशि और उस पर मिलने वाला रिटर्न पूरी तरह सुरक्षित होता है।
ऋण की सुविधा: खाता खोलने के एक साल बाद से लेकर पांच साल पूरे होने तक, आप अपनी शेष राशि के 25% तक का लोन ले सकते हैं।
आंशिक निकासी: खाता खोलने के सात साल बाद से, विशेष जरूरतों के लिए आंशिक रूप से पैसे निकाले जा सकते हैं।
पीपीएफ खाता खोलना एक आसान प्रक्रिया है। इसे आप डाकघर या अधिकृत बैंकों (जैसे SBI, PNB, HDFC, ICICI आदि) में खोल सकते हैं। ऑनलाइन प्रक्रिया इस प्रकार है:
अपने बैंक के इंटरनेट बैंकिंग पोर्टल में लॉग इन करें।
'पीपीएफ खाता खोलें' का विकल्प चुनें।
'स्वयं' या 'नाबालिग' के लिए खाते का प्रकार चुनें।
फॉर्म में सभी जरूरी जानकारी भरें और जमा की जाने वाली राशि दर्ज करें।
रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर आए OTP से सत्यापन करें।
खाता तुरंत खुल जाएगा और खाता नंबर स्क्रीन पर दिखाई देगा।
पीपीएफ दीर्घकालिक वित्तीय योजना और सुरक्षित भविष्य बनाने का एक शानदार तरीका है। इसकी सुरक्षा, टैक्स बचत और स्थिर रिटर्न इसे एक आदर्श निवेश विकल्प बनाते हैं। हालाँकि, निवेश से पहले इसकी लॉक-इन अवधि और निकासी की शर्तों को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए।#AgricultureNews